नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा- स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा देना होगा
कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर के लिए हमें अभी से तैयारी करनी होगी. उन्होंने पीएम मोदी को इस संबंध में पत्र भी लिखा है.
नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी को डब्ल्यूएचओ ने 74वीं वर्ल्ड हेल्थ अंसेबली में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया. बैठक में तमाम सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्री उपस्थित थे. उनके भाषण का विषय था ‘कोविड 19 और बच्चे’. इस भाषण के बाद एबीपी न्यूज़ ने कैलाश सत्यार्थी से बात की.
कैलाश सत्यार्थी ने कहा, 'शुरू में लोग यह मान रहे थे कि कोरोना का संकट सिर्फ व्यस्कों को प्रभावित करेगा. लेकिन हमने देखा कि दूसरी लहर में बच्चे प्रभावित हुए. अब कहा जा रहा है कि तीसरी लहर जरूर आएगी और बच्चे उससे ज्यादा प्रभावित होंगे. मैंने अपने संबोधन में कुछ बातें प्रमुखता से उठाईं. पहला इसे केवल स्वास्थ्य का संकट नहीं माना जाना चाहिए. ये बच्चों के भविष्य का संकट है, ये मानवता और न्याय का संकट है. दूसरा, हमें इसका हल निकालने के लिए अभी से तैयारी करने की जरूरत है. हम यह नहीं कर सकते कि जब घर में आग लग जाएगी तब हम आग बुझान की मशीनों को लेकर भागते फिरें. हमें अभी से तैयारी करनी होगी.'
नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा, 'अगर इस बार भारत या दुनिया में कोरोना का संकट आएगा तो यह हमारी तैयारी के अभाव का संकट होगा. अगर लोग या हमारे बच्चे मरेंगे तो यह हमारी तैयारी के अभाव से मरेंगे.' उन्होंने कहा, 'मैंने अपने भाषण में अपील की कि यूएन की सभी एजेंसियां मिलकर काम करें. अलग-अलग काम न करें. एक हाईलेवल ग्रुप बनाया जाए. विभिन्न देश के मंत्रियों से भी मैंने अपील की कि आप अपने देशों में एक टास्क फोर्स बनाएं. जिनमें बाल चिकित्सा, बाल मनोविज्ञान से जुड़े लोग हों.'
स्वास्थ्य मौलिक अधिकार बने
कैलाश सत्यार्थी ने कहा, 'जरूरी है कि बुनियादी सवाल खड़े किए जाएं कि मैं आज यह कहना चाहता हूं कि स्वास्थ्य को संवैधानिक मौलिक अधिकार की मान्यता दी जाए. हमने शिक्षा को मौलिक अधिकार की मान्यता दिलाने की लड़ाई लड़ी और हम जीते. अब भी मौका है. अभी राइट टू लाइफ की व्याख्या ऐसे कर दी जाती है कि इसमें स्वास्थ्य भी शामिल है. लेकिन हमें स्वास्थ्य को अलग से संवैधानिक मौलिक अधिकार बनाना होगा जैसे शिक्षा को बनाया गया. उन्होंने कहा कि जब तक भारत में स्वास्थ्य मौलिक अधिकार नहीं बन जाता है तब तक हमारा हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत नहीं होगा. अगर एक भी बच्चा खतरे में है तो हम सब खतरे में हैं, हमारा भविष्य खतरे में हैं.'
भारत सरकार को भी दिए सुझाव
कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि मैंने भारत सरकार को भी सुझाव दिए. दो हफ्ते पहले मैंने पत्र लिखकर पीएम से आग्रह किया कि आप एक नेशनल टास्क फोर्स बनाएं. हर जिले में एक समर्पित अस्पताल ऐसे बच्चों के लिए हो जो कोविड से पीड़ित हैं. तीसरी लहर के लिए अस्पताल अभी से तैयार किए जाएं. गांव में भी कोरोना फैल रहा है. पंचायतों के स्तर पर, पंचातयों के भवन में बच्चों के लिए मेडिकल सुविधाओं से लैस क्वारंटीन होम बनाए जाएं.