Sharad Pawar On Vinayak Damodar Savarkar: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने शनिवार (1 अप्रैल) को कहा कि हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) के देश की आजादी के लिए दिए गए बलिदान की कोई अनदेखी नहीं कर सकता है, लेकिन उनसे असहमति को राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि आज देश के समक्ष कई और ज्वलंत मुद्दे हैं जिनपर ध्यान देने की जरूरत है.


विदेशी जमीन पर कथित तौर पर भारत के खिलाफ बोलने को लेकर बीजेपी के निशाने पर आए कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का बचाव करते हुए पवार ने कहा कि वह पहले भारतीय नहीं हैं जिन्होंने देश के मुद्दों पर विदेश में बात की है.


राहुल गांधी पर पूछे गए सवाल का दिया ये जवाब


नागपुर के प्रेस क्लब में पवार ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की. वह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के यहां स्थित आवास पर उनसे मिलने भी गए. जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने सावरकर के मुद्दे पर राहुल गांधी से बात की है और क्या कांग्रेस नेता दिवंगत हिंदुत्व विचारक की आलोचना में कमी लाएंगे तो पवार ने कहा कि हाल में 18-20 पार्टियां एक साथ बैठीं और देश के समक्ष मौजूद मुद्दों पर चर्चा की.


उल्लेखनीय है कि बीजेपी राहुल गांधी पर सावरकर का ‘अपमान’ करने का आरोप लगा रही है. वह, उनके सम्मान में सावरकर गौरव यात्रा भी निकाल रही है. एनसीपी प्रमुख ने कहा, ‘‘मैं सुझाव दूंगा कि इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि जो इस समय सत्ता में हैं वे देश को किस ओर ले जा रहे हैं.’’


'सावरकर के बलिदान की अनदेखी नहीं कर सकते'


पवार ने कहा, ‘‘आज सावरकर राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है, यह पुरानी चीज हो गई है. हमने सावरकर के बारे में कुछ बातें कही हैं, लेकिन वे व्यक्तिगत नहीं हैं. मैं हिंदू महासभा के खिलाफ था, लेकिन दूसरा पक्ष भी है. हम सावरकर की ओर से देश की आजादी के लिए दिए गए बलिदान की अनदेखी नहीं कर सकते हैं.’’


सावरकर के प्रगतिशील विचारों का जिक्र


उन्होंने कहा कि करीब 32 साल पहले उन्होंने संसद में सावरकर के प्रगतिशील विचारों के बारे में बात की. पवार ने कहा कि सावरकर ने रत्नागिरी में मकान बनाया था और उसी के सामने छोटे से मंदिर का भी निर्माण कराया था. पवार ने बताया, ‘‘सावरकर ने मंदिर में पूजा की जिम्मेदारी वाल्मीकि समाज के व्यक्ति को दी थी. मेरा मनाना है कि वह बहुत ही प्रगतिशील बात थी.’’ एनसीपी नेता ने कहा कि राष्ट्रीय कथानक में सावरकर पर जोर देने की जरूरत नहीं है, खासतौर पर तब जब आम लोगों को चिंतित करने वाले कई बड़े मुद्दे हैं.


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