नई दिल्ली: नोएडा प्राधिकरण घोटाले मामले में सीबीआई ने तीन आरोपपत्र गाजियाबाद की विशेष अदालत के सामने पेश किए. इन तीन आरोप पत्रों में कुल 36 लोगों को आरोपी बनाया गया है और इन तीनों आरोपपत्रो में नोएडा प्राधिकरण के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह का नाम शामिल है. सीबीआई का आरोप है कि प्राधिकरण अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसी कंपनियों को ठेके दिए गए जिनके पास काम करने का कोई अनुभव नहीं था. आरोप है कि इस मिलीभगत के चलते नोएडा प्राधिकरण को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ.
सीबीआई प्रवक्ता आरके गौड़ के मुताबिक इन तीनों आरोपियों में चार नाम ऐसे हैं जो तीनों आरोप पत्रो में शामिल हैं. ये नाम पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह, प्रोजेक्ट इंजीनियर धर्मेंद्र, प्रोजेक्ट इंजीनियर विमल कुमार मांगलिक और गुल इंजीनियर कंपनी के मालिक जावेद अहमद के हैं.
सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि यह प्राइवेट कंपनियां इन ठेकों के लायक नहीं थी और टेंडर नियमों के मुताबिक कंपनियों के कार्य अनुभव की जो अवधि दी गई थी वह भी इन कंपनियों के पास नहीं थी. इसके अलावा इन कंपनियों ने अपने सामानों के जो रेट प्राधिकरण को बताएं वह मार्केट में आसानी से मिल रहे सामानों के रेट के मुकाबले कहीं ज्यादा थे. लेकिन इन सबके बावजूद नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और निजी कंपनियों द्वारा दिए गए ऊंचे दामों को भी जायज ठहराया.
यह भी आरोप है कि इस मामले में मुख्य अभियंता यादव सिंह और गुल इंजीनियर कंपनी के मालिक जावेद अहमद के बीच बड़े मधुर रिश्ते थे और यादव सिंह और उनके परिजनों को जावेद अहमद की तरफ से गिफ्ट भी दिए जाते थे. सीबीआई के मुताबिक यादव सिंह को इन मामलों में अलग से गिरफ्तार किया गया था और वह अभी भी न्यायिक हिरासत में जेल में हैं.
सीबीआई के पहले आरोप पत्र के मुताबिक नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से नोएडा में भूमिगत केबल के माध्यम से फीडर लाइन बिछाने से संबंधित तीन ठेके निजी कंपनियों को दिए गए. इसमें फ्लाईओवर के विद्युतीकरण कार्य और अन्य काम भी शामिल था. इस मामले में सीबीआई का मानना है कि नोएडा प्राधिकरण को ₹50 लाख से ज्यादा का नुकसान हुआ पहले आरोप पत्र में कुल 13 तत्कालीन अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है.
दूसरे आरोपपत्र में दूसरा आरोपपत्र साल 2008 नवमी विद्युत लाइनों की शिफ्टिंग और 33 बटा 11 केवी लाइन की शिफ्टिंग से संबंधित दो ठेकों को निजी कंपनियों को सौंपे जाने से संबंधित हैं. आरोप है कि इस मामले में भी प्राधिकरण को नुकसान पहुंचा दूसरे आरोपपत्र में सीबीआई ने कुल 12 अधिकारियों को आरोपी बनाया है.
सीबीआई ने अपना तीसरा आरोप पत्र 11kv भूमिगत फीडर के 7 नंबर के निर्माण और 33kv ओवरहेड लाइन के काम से संबंधित 2 ठेकों को निजी कंपनियों को दिए जाने के मामले में दायर किया है. इस मामले में सीबीआई का आरोप है कि अधिकारियों की मिलीभगत के चलते नोएडा प्राधिकरण को ₹72 लाख से ज्यादा का नुकसान हुआ. प्राधिकरण ने निजी कंपनियों को यह ठेका साल 2010- 11 में दिया था. सीबीआई ने इस मामले में 17 जनवरी 2018 को मुकदमे दर्ज किए थे. यह मुकदमा पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह की पहले से चल रही जांच के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर दर्ज किए गए थे.