नोएडा: लॉकडाउन के कारण दिल्ली से बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन हुआ है या फिर रोज़गार पूरी तरह से चला गया है. अब यह लोग दूसरों की मदद पर आश्रित हैं. प्रधानमंत्री के आज के संबोधन से यह साफ हो गया कि लॉकडाउन 3 मई ,यानि कि अब 19 दिन और चलेगा. कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए ऐसा करना सरकार के लिए बेहद ज़रूरी है लेकिन हज़ारों मजदूरों के लिए लॉकडाउन बढ़ना चुनौतियों को बढ़ा देता है.
एबीपी न्यूज ने कुछ मजदूरों से बात की जो अपनी मुश्किलें और खाना खोजने का संघर्ष हमें बताते हैं . सीमा कहती हैं कि " मुझे लगा था कल से काम मिलेगा तो कामा कर कुछ सूखा राशन घर लाकर रखेंगे लेकिन अब समझ नहीं आता क्या करूं. " दिल्ली-एनसीआर में इस मुश्किल वक़्त से जूझ रहे कई मजदूर और प्रवासी हैं जिनको दो वक़्त का खाना भी नसीब नहीं है. ऐसे करीब 8- 10 हज़ार लोगों के लिए मसीहा बन कर एक प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी , आयरनमैन सर्विसेज आई है, जो हर रोज़ नोएडा और ग्रेटर नोएडा के हज़ारों लोगों के लिए साफ ,स्वादिष्ट खाना परोस रहे हैं.
आयरनमैन सर्विसेज से जुड़े करीबन 20 लोगों की टीम वैसे तो हनुमान मंदिर पर भंडारा लगाती थी लेकिन ऐसे मुश्किल वक़्त में अपनी ज़िम्मेदारी को समझते हुए इन सभी लोगों ने हज़ारों लोगों के लिए खाना बनाने के बारे में सोचा.आयरनमैन सिक्योरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के सीएमडी हरेंद्र चौधरी और उनकी पूरी टीम हर रोज़ घंटों तक भोजन तैयार करते हैं , साथ ही वक़्त वक़्त पर खाने के मीनू को भी बदलते रहते हैं.
नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों को आयरनमैन द्वारा बना भोजन सौंप दिया जाता है ,जिसका वितरण अलग अलग इलाकों में होता है. एबीपी न्यूज नोएडा सेक्टर 31 पहुंचा जहां खाना तैयार हो रहा था. एक टेंट के नीचे 8 कुक्स नज़र आए जहां खाना बनाने से पहले पूरी जगह को सैंनिटाइज किया गया. राजमा और फ्रायड चावल तैयार किए गए और डिस्पोजेबल पैकेट में वॉलंटियर द्वारा खाने को रखा गया. करीबन 3 हज़ार पैकेट्स हमारे सामने तैयार किए गए जिन्हे नोएडा प्राधिकरण को सौंप दिया.
वितरण के लिए यह पैकेट एक ट्रैक में लोड किए गए और नोएडा के सेक्टर 10 पहुंचे. इस जगह पर नोएडा के ज़्यादातर मजदूर रहते हैं जिनका काम फिलहाल बिल्कुल ठप है. ये लोग साधन ना होने के कारण अपने गांव नहीं जा पाए हैं और शहर में कोई काम ना होने के कारण अन्न खरीदने में समर्थ नहीं है. करीबन 900 लोग कतार बना कर खाने का बेसब्री से इंतज़ार करते हुए दिखे जिन्हे सामाजिक दूरी और मास्क पहनने की हिदायतों के बाद वितरण शुरू किया गया. पांच साल की नीलम कहती हैं, " खाने की गाड़ी देख कर खुशी होती है लेकिन भीड़ से डर भी लगता है. खाना अच्छा है इसलिए रोज़ आऊंगी."
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