Shrikant Tyagi: नोएडा के नेता श्रीकांत त्यागी ने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है. त्यागी को पिछले साल अगस्त में नोएडा की एक सोसायटी में एक महिला के साथ मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. दरअसल, त्यागी उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब उसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वह अपनी सोसायटी में एक महिला के साथ मारपीट करते हुए देखा गया था. 


महिला ने त्यागी के जरिए सोसायटी में लगाए जा रहे पेड़ों को लेकर आपत्ति जताई थी, जिस पर दोनों में कहासुनी हुई और फिर मारपीट होने लगी. ये घटना नोएडा के सेक्टर 93बी के ग्रैंड ओमैक्स सोसायटी की थी. पुलिस ने त्यागी को महिला के साथ मारपीट करने और गालीगलौच के आरोप में गिरफ्तार किया था. इस मामले में त्यागी को गिरफ्तार पर जेल भी भेजा गया था, जहां 72 दिन गुजारने के बाद पिछले साल अक्टूबर के महीने में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसे जमानत दे दी थी. 


सुनवाई के दौरान अदालत ने क्या कहा? 


पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस एस सी शर्मा की पीठ ने कहा कि वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं. पीठ ने कहा, 'हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत यहां दिए गए फैसले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं. अपील की विशेष अनुमति की याचिका खारिज की जाती है.' श्रीकांत त्यागी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 4 जुलाई को दिए फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर पीठ ने सुनवाई की. 


हाईकोर्ट से लगा था त्यागी को झटका


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एक ऐसा व्यक्ति जिसने हिंसा का रास्ता चुना और वह लोगों की जिंदगी की कद्र नहीं करता है. उसके पास राज्य सरकार से ये गुजारिश करने का कोई अधिकार नहीं है कि वह विरोधियों से उसकी जान बचान के लिए विशेष प्रबंध करे. 


अदालत ने कहा था, 'हमारा मानना है कि ऐसे व्यक्ति को व्यक्तिगत सुरक्षा देने से उसकी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे समाज को बड़े पैमाने पर नुकसान होगा. एक ऐसा शख्स, जिसने हिंसा को चुना और इंसानी जीवन का उसके लिए कोई मूल्य नहीं है. उसे ये दलील देने का बिल्कुल भी अधिकार नहीं है कि सरकार उसके विरोधियों से उसकी रक्षा करे. ऐसे व्यक्ति को अगर कोई खतरा है, तो वह उसका अपना खुद का मामला है, जिसके लिए सरकार उसे सुरक्षा नहीं दे सकती है.'


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