Noida Twin Tower Demolition: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोएडा स्थित ट्विन टावर्स (Twin Tower) आज जमींदोज हो जाएंगे. जिस इमारत को बनने में 13 साल लगे, वो महज कुछ ही सेकंड में बर्बाद हो जाएगा. ट्विन टावर को गिराने में वाटरफॉल तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. बेसमेंट से ब्लास्टिंग की शुरुआत होगी और 30वीं मंजिल पर खत्म होगी. इसे इग्नाइट ऑफ एक्सप्लोजन कहते हैं. देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब इतनी बड़ी बिल्डिंग को जमींदोज कर दिया जाएगा.


ऐसा कहा जा रहा है कि ट्विन टावर गिराया (Twin Tower Demolition) जाना भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश है. बिल्डरों और अधिकारियों के गठजोड़ से खरीददारों के साथ धोखे की कहानी लंबी है. कई सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद आज ट्विन टावर धूल में मिल जाएगा. 


बिल्डरों और अधिकारियों की मिलीभगत!


बिल्डरों और अधिकारियों की मिलीभगत से खून-पसीने की कमाई एक करके अपने आशियाने के लिए धन जुटाने वाले कई खरीददारों का सपना टूट गया था. एमराल्‍ड कोर्ट के रिजिडेंट ने 10 से अधिक सालों तक इस ट्विन टावर को गिराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने का अपना फैसला सुनाया था. इस ट्विन टावर में एक-एक पैसा जोड़कर सैकड़ों लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे. जानकारी के मुताबिक कई लोगों को अभी भी पूरे रिफंड नहीं मिले हैं.


क्या है भ्रष्टाचार की कहानी?


भ्रष्टाचार की इमारत बनने की कहानी थोड़ी लंबी है. करीब डेढ़ दशक पहले भ्रष्टाचार के इस आशियाने के बनने की कहानी की शुरुआत होती है. नोएडा (Noida) के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट (Emerald Court) के लिए भूमि आवंटन का काम 23 नवंबर 2004 को हुआ था. इस परियोजना के लिए नोएडा प्राधिकरण ने सुपरटेक (Supertech) कंपनी को 84,273 वर्गमीटर भूमि आवंटित की थी. साल 2005 मार्च के महीने में इसकी लीज डीड हुई, लेकिन उस वक्त लैंड की पैमाइश में घोर लापरवाही बरतने का मामला सामने आया. बिल्डिंग के मैप के हिसाब से  जहां पर 32 मंजिला एपेक्स और सियाने यानी ट्विन टावर खड़े हैं, वहां पर ग्रीन पार्क एरिया दर्शाया गया था.


खरीददारों के क्या आरोप हैं


नोएडा में स्थित ट्विन टावर में जिन लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे, उनका आरोप है कि बिना उन्हें बताए ही सुपरटेक ने इमारत का नक्शा चेंज कर दिया. इसके खिलाफ फ्लैट्स खरीदने वाले चार लोगों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में साल 2012 में याचिका दायर की थी. साल 2014 में अदालत ने ट्विन टावर को अवैध बताकर इसे गिराने का आदेश दिया. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुपरटेक कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया, लेकिन वहां भी उसे राहत नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2021 में इस बिल्डिंग को गिराने का निर्देश दिया. 


किन-किन लोगों ने शुरू की थी लड़ाई?


नोएडा में स्थित ट्विन टॉवर के खिलाफ करीब 10 साल पहले उदय भान सिंह तेवतिया, एस के शर्मा, एम के जैन और रवि बजाज ने संघर्ष की शुरूआत की थी. उदयभान सिंह तेवतिया के नेतृत्व में ही ट्विन टावर की लड़ाई लड़ी गई. CISF से रिटायर डीआईजी उदयभान सिंह तेवतिया एमराल्ड कोर्ट रेसिडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं. इन लोगों का आरोप था कि नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डर के साथ सांठगाठ करके ट्विन टावर बनाने की इजाजत दी थी


उदयभान सिंह तेवतिया ने क्या कहा?


एमराल्ड कोर्ट (Emerald Court) रेसिडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष उदयभान सिंह तेवतिया ने बताया कि हमने साल 2006 में फ्लैट बुक किया और साल 2010 में रहने आए थे. उन्होंने बताया कि जब फ्लैट बुक किया गया था तो सोसाइटी में 5 स्टार होटल जैसी सुविधा देना का सपना दिखाया गया था. फ्लैट की कीमत 1 करोड़ से अधिक की थी. कुछ ही दिन के बाद इसी सोसाइटी के पास में गड्ढा खोदे जाने पर वो चौंक गए और इस बारे में पता करने पर जानकारी मिली कि यहां दो टावर बनेंगे. 


नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) से नक्शा मांगने पर देने से इनकार कर दिया गया. वहीं, बिल्डर नक्शे को लेकर अथॉरिटी के पास जाने की बात कहते थे. दोनों की बातों से तंग आकर हमने 4 लोगों की लीगल टीम बनाई और 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट से बिल्डिंग गराने का आदेश आने पर सुपरटेक (Supertech) कंपनी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) गई, लेकिन वहां भी कोई राहत नहीं मिली. 


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