Noida Twin Towers Demolition: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोएडा में स्थित सुपरटेक का ट्विन टावर जमींदोज (Twin Towers Demolition) हो गया. टावर को गिराने के बाद चारों तरफ धूल का गुबार नजर आया. नोएडा (Noida) के सेक्टर 93A में बने एपेक्स और सियान टावर को ध्वस्त करने के लिए 3700 किलोग्राम विस्फोटक बिल्डिंग के अलग-अलग हिस्सों में लगाए गए थे. वहीं, प्रशासन की ओर से सुरक्षा को लेकर विशेष इंतजाम किए गए थे. टावर गिराने से पहले आसपास के इलाके में रह रहे लोगों को खाली करा दिया गया था. बिल्डिंग से कुछ दूर भारी संख्या में पुलिस बल की भी तैनाती की गई थी.
13 साल में बनी भ्रष्टाचार की दोनों इमारतों को तोड़ने में महज 12 सेकेंड का वक्त लगा. नोएडा स्थित ट्विन टावर को गिराने का जिम्मा एडिफाइस नाम की कंपनी को मिला था. ये काम प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता की देखरेख में हुआ. इसमें दक्षिण अफ्रीका की जेट डेमोलेशन कंपनी भी शामिल थी.
किस कंपनी को मिली थी टावर गिराने की जिम्मेदारी
नोएडा में गगनचुंबी इमारत ट्विन टावर को गिराने के दौरान दक्षिण अफ्रीका के माइनिंग इंजीनियर जो ब्रिंकमैन, मार्टिंस, केविन स्मिथ और प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता, इंडियन ब्लास्टर चेतन दत्ता और एक पुलिस के बड़े अधिकारी मौजूद रहे. इमारत को गिराने का काम मुख्य तौर से एडिफाइस इंजीनियरिंग नाम की कंपनी ने किया. एडिफाइस कंपनी का दक्षिण अफ्रीका की जेट डेमोलेशन के साथ करार है.
एडिफाइस के चेतन दत्ता को 20 साल का अनुभव
भारतीय ब्लास्टर चेतन दत्ता (Chetan Datta) ने एक बटन दबाकर कुछ ही सेकेंड में ट्विन टावर्स को मिट्टी में मिला दिया. एडिफाइस (Edifice) कंपनी की तरफ से भारतीय ब्लास्टर चेतन दत्ता 100 मीटर के दायरे में मौजूद रहे. चेतन दत्ता को इस क्षेत्र में करीब 20 साल का अनुभव है. वो राजस्थान, हरियाणा के पानीपत और उत्तराखंड में ब्लास्टिंग का काम करते रहे हैं. ट्विन टावर को गिराने के लिए खास प्रकार का इमल्शन एक्सप्लोसिव इस्तेमाल किया गया. जानकारी के मुताबिक ट्विन टावर को गिराने के लिए पिछले करीब 6 महीने से तैयारी चल रही थी. 21 फरवरी से 350 वर्कर्स और 10 इंजीनियर इस काम के लिए लगे थे.
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