Noida Twin Tower: नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को 28 अगस्त 2022 को तय समय के अनुसार दोपहर 2:30 बजे ब्लास्ट से गिरा दिया गया. टावर प्लानिंग के मुताबिक गिरा और किसी भी तरह की जान-माल की हानि नहीं हुई. टावरों के गिरने के 4-5 घंटे बाद आसपास की सोसायटियों में रहने वाले जिन लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया था वो लौटने भी लगे हैं, लेकिन अभी लौटना कुछ उम्र के लोगों के लिए ठीक नहीं है.


दरअसल, इन टावरों के गिरने बाद इनसे उठी धूल, मिट्टी और गैसों के गुबार आसपास के लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अगले कुछ दिनों तक अभी भी खतरा हो सकते हैं. ऐसे में लोगों को सावधान रहने की जरूरत है. हम बताने जा रहे हैं आखिर क्या है खतरा और इससे लड़ने के लिए किन बातों का रखें ध्यान.


क्या है खतरा


डॉक्टरों के मुताबिक, जब कोई इमारत गिरती है तो उसमें लगे सीमेंट, रेत और लोहे की वजह से मलबे से खतरनाक गैसें निकलती हैं. ये गैसें 300 से 400 मीटर के एरिया में ऑक्सीजन की मात्रा को काफी कम कर सकती हैं. मलबे से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड जैसी गैसें सेहत के लिए काफी खतरनाक हैं. डॉक्टरों का कहना है कि गैस के अलावा इन मलबों से धूल के छोटे-छोटे कण भी निकलते हैं जो दिखते नहीं हैं लेकिन आंखों और दिल पर काफी असर डाल सकते हैं.


इनको सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत


डॉक्टरों की मानें तो धूल के गुबार से आसपास हुए प्रदूषण और जहरीली गैसों की वजह से लोगों में बेचैनी व सांस लेने जैसी समस्या हो सकती है. बुजुर्ग, बच्चे और गर्भवती महिलाओं के लिए ऐसी स्थिति में रहना ठीक नहीं है. बच्चों और बुजुर्ग को तो खासतौर पर ऐसे माहौल से दूर रहने की जरूरत है.


कब तक ठीक हो सकता है वातावरण


डॉक्टरों का कहना है कि अभी कम से कम 2 दिन तक आसपास की सोसायटी में बुजुर्ग, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को रहने से बचना चाहिए. एक्सपर्ट बताते हैं कि इस इमारत को गिराने के लिए बारूद जलने से पैदा हुए कार्बन पार्टिकल या गैसें कुछ समय में खत्म हो जाती हैं, लेकिन मलबे के गिरने के बाद धूल और मिट्टी से पैदा हुए डस्‍ट पार्टिकल 48 घंटे तक हवा में रह सकते हैं. ये डस्ट पार्टिकल काफी नुकसानदायक होते हैं. ऐसे में इन लोगों को अभी 2 दिन इस माहौल से बचना चाहिए.


इन बातों का रखें ध्यान



  • धूल के गुबार से बीपी, शुगर, अस्थमा या सांस के मरीज को काफी दिक्कत हो सकती है. ऐसे लोग या तो इस माहौल से दूर रहें या फिर दवाई नियमित रूप से लें. मास्क लगाकर रहें.

  • वहीं अस्थमा, सीओपीडी या फेफड़ों से संबंधित अन्य बीमारी से पीड़ित मरीज की सेहत इससे बिगड़ सकती है. ऐसे मरीज अपने इनहेलर्स का यूज करते रहें. अपने चेहरे को दिन में 2-3 बार धो लें.

  • खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेट रखें और ताजे फल खाते रहें.

  • अगर आपको गले में खराश, खांसी, सिर दर्द, बुखार, आंखों में जलन, नाक और त्वचा में खुजली जैसे लक्षण दिखें तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं.


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