यूपी: नोएडा के ममूरा गांव में सैंकड़ों की तादाद में प्रवासी मजदूर रहते हैं, जो दिनभर दिहाड़ी मजदूरी कर दो वक्त की रोटी अपने और अपने परिवार के लिए जुटाते थे. लॉकडाउन के बाद से ही काम बिल्कुल बंद है और लोगों के घरों में खाना बनना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में इन लोगों की स्थिति बेहद ही खराब हो गई है.


एबीपी न्यूज़ की टीम जब ममूरा गांव पुहंची तो देखा कि लोग बड़ी संख्या में बाहर निकले हुए हैं. जब उनसे पूछा गया कि लॉकडाउन में बाहर क्यों हैं? तो उन्होंने कहा कि किसी ने बताया था कहीं काम मिल जाएगा. इसीलिए सुबह-सुबह घर से निकले थे, लेकिन काम नहीं मिला, कहीं काम नहीं है.


ज्यादातर प्रवासी मजदूर यूपी और बिहार के हैं. यह लोग कई सालों से दिल्ली में रह रहे हैं. लॉकडाउन के बाद इनकी स्थिति बेहद खराब हो गई है. ये प्रवासी मज़दूर कहीं और जा भी नहीं सकते और यहां इन्हें खाना तक नहीं मिल पा रहा है.


लॉकडाउन का एलान होते ही लोगों ने खाना और सुविधाएं न मिलने के कारण अपने घर जाना शुरू कर दिया था. सरकार की तरफ से जो खाना और राशन की चीज़ें दी जा रही हैं, वो इन तक नहीं पहुंची हैं. नोएडा के ममूरा गांव में प्रवासी श्रमिकों की बस्ती है. ये लोग सालों से यहां दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. सुविधाएं न मिलने के कारण पलायन का विचार इन लोगों के दिलों में भी है.


इलाके में रहने वाले बिहार के मोहम्मद तारिक़ ने कहा, "हमारा बहुत बुरा हाल है. मैं एक्सपोर्ट कंपनी में काम करता था. ठेकेदार के अंडर काम करता था. पैसों की किल्लत है. 2 दिन से पानी बेच रहा हूं. हेल्पलाइन पर फोन कर मदद मांगी, लेकिन वहां से भी कोई मदद नहीं मिली. लोगों से भी मदद मांगी. कहीं से मदद नहीं मिली."


तारिक़ ने हाथ जोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया, "मुझे घर भेज दीजिए, छोटे बच्चे हैं मेरे. मेरी वाइफ बिहार में रहती है. उसको दवाई के लिए पैसों की जरूरत है. ठेकेदार को पैसे के लिए फोन कर रहे हैं. वो फोन नहीं उठाता है. मोदी जी से निवेदन है या तो हमें सुविधा दे दीजिए या हमें घर भेज दीजिए. मैं मुस्लिम हूं. इसलिए भी लोग बहुत टिप्पणियां कर रहे हैं. इससे बहुत डर लग रहा है. पानी बेच रहे थे, तो लोग हमसे हमारी गली में पानी नहीं ले रहे हैं. इसमें हमारी क्या गलती है. हमने क्या किया है."


इसी बस्ती की शीला, जो बिहार की रहने वाली हैं उन्होंने बताया, "जो सबकी स्थिति, वही हमारी है. एक आदमी काम करने वाला है. वह भी कंपनी ने पूरा पैसा नहीं दिया. छोटे-छोटे बच्चे हैं. उनको लेकर कहां जाएंगे. हम तो मोदी जी के आदेश का पालन, नमक पानी पीकर भी कर रहे हैं."


सभी मजदूरों ने अपनी सबसे बड़ी परेशानी खाने और राशन की कमी को बताया. इन लोगों तक कोई भी मूलभूत सुविधा नहीं पुहंच रही है, जिसकी वजह से इन लोगों की स्तिथि दिन ब दिन खराब होती जा रही है और पलायन का विचार मन में आ रहा है.


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