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नोएडा: कोरोना से लड़ाई में यथार्थ अस्पताल की एडवांस तकनीक, रोबॉर्ट कर रहा स्वास्थकर्मियों का काम आसान

कोरोना से लड़ने के लिए नोएडा के यथार्थ ने एडवांस तकनीक की शुरुआत की है. मित्रो नाम का रोबॉर्ट अब अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों का काम में मदद कर रहा है.

नोएडा: कोरोना से लड़ने के लिए नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है. नोएडा के अस्पताल यथार्थ ने एडवांस तकनीक की और एक कदम आगे उठाया है. अपने स्टाफ में कोविड वारियर्स यानी कि डॉक्टर्स और हेल्थ केयर वर्कर्स का साथ निभाने के लिए और साथ ही मरीज़ों का मनोबल और उनकी मदद के लिए 'मित्रा' को अपने स्टाफ में शामिल कर लिया है.

अब आप को आई. सी. यू वार्ड, आइसोलेशन वार्ड, कोरोना वार्ड में डॉक्टर्स के साथ-साथ मित्रा भी दिख जाएगा. 5 फ़ीट का ये मानवरूपी आधुनिक रोबॉर्ट आर्टिफिशल इंटेलेजन्स की मदद से एक बंगलौर बेस्ड स्टार्ट अप ने बनाया था. साल 2017 में हैदराबाद में हुई एक समिट में मित्रा को प्रधानमंत्री मोदी और इवांका ट्रंप ने लॉन्च किया था. उस समय किसी ने सोचा नहीं होगा के इस तरह की आधुनिक तकनीक से विकसित रोबोट को कोरोना के काल में भी जम कर इस्तेमाल किया जाएगा.

मित्रा एक ह्यूमनोइड रोबर्ट है, जो चेहरे पहचान सकता है, अपनी आंखे झपका सकता है, हाथ हिला कर अभिवादन करता है. मूवमेंट के लिए पाइयों पर चलता है और इस पर हाई क्वालिटी डिस्प्ले स्क्रीन भी लगी हुई है. नोएडा के कोविड का इलाज कर रहे मुख्य अस्पतालों में से एक यथार्थ में इस तरह के तीन 'मित्रों' को स्वास्थ्य कर्मियों की मदद और कोरोना के मरीज़ों के मनोबल बढ़ाए रखने के लिए रखा गया है.

नोएडा: कोरोना से लड़ाई में यथार्थ अस्पताल की एडवांस तकनीक, रोबॉर्ट कर रहा स्वास्थकर्मियों का काम आसान

मित्रो को शुरवाती दौर में अस्पताल ने स्क्रीनिंग के लिए रखा था उसके साथ-साथ अब मित्रो मरीज़ों को रोबोटिक वीडियो कॉल के ज़रिए डॉक्टर्स और उनके घरवालों से जोड़ता है. डॉक्टर्स के साथ सेशंस भी आयोजित किए जातें हैं. कोरोना के खतरे को देखते हुए कई सारे डॉक्टर्स जैसे डायटीशियन, मनोचिकत्स्क अपने क्लीनिकों में ही काम कर रहे है. कोरोना के मरीज़ों के बीच इन डॉक्टर्स को संक्रमण का खतरा है तो ऐसे में मित्रो एक सुरक्षित उपाए है.

देश भर में कोरोना से लगातार डॉक्टर्स और हेल्थकेयर वर्कर्स कोरोना की चपेट में आ रहें हैं ऐसे में मित्रो उनके कई कार्यों में सहायक बन उनकी मदद कर सकता है. लगातार अस्पताल में मित्रो के साथ कोरोना की लड़ाई में शामिल डॉक्टर राहुल सिंह बतातें हैं के इस तरह के तीन रोबोट उनकी संस्था में काम कर रहें हैं. ऐसे डॉक्टर्स जो कोरोना वार्ड में नहीं आ सकते जैसे के डायटीशियन, मनोचिकत्स्क उनकी विडियो कंसल्टेशन करवाता है. मरीज़ों को परिवार वालों से भी बात करवाता है.

नोएडा: कोरोना से लड़ाई में यथार्थ अस्पताल की एडवांस तकनीक, रोबॉर्ट कर रहा स्वास्थकर्मियों का काम आसान

साथ ही मित्रो थर्मल स्क्रीनिंग से तापमान नापता है और गेट पास भी देता है. शुरू में जब कोरोना के मरीज़ कम थे तब हमने मुख्यता इसे स्क्रीनिंग के लिए रखा था अब लेकिन ये मरीज़ों की देख रेख में भी मदद कर रहा है और हेल्थ केयर वर्कर्स का भी अब सीधा मरीज़ो से सम्पर्क कम हुआ. ऐसे में ये उनका बचाव भी कर रहा है जो फ्रंटलाइन में लगातार लड़ रहें हैं.

मित्रो रोबोट को मोबाइल से एक खास तरह की एप्लीकेशन के उपयोग से ऑपरेट किया जाता है. इसको इलेक्ट्रिकली चार्ज किया जाता है. मरीज़ों की आवश्यकता देखते हुए रोबोटिक कंसल्टेशन भी करवाया जाता है. हाई क्वालिटी विडियो और ऑडियो दोनों के माध्यम से ये विडियो कॉल की प्रक्रिया होती है.

इस तरह की आधुनिक तकनीक किस तरह से हेल्थ केयर सर्विसेस को बढ़ावा दे सकती है इस पर डॉक्टर रौनक का कहना था, " बिलकुल इस तरह की सुविधा कई सारे काम आसान कर सकती है,  लेकिन इस तरह की कोई भी तकनीक हेल्थकेयर वर्कर्स को रिप्लेस नहीं कर सकती. उनका काम आसान ज़रूर कर सकती है.

आगे वो कहतें हैं के कोरोना से लड़ रहे मरीज़ों का मानसिक मनोबल बढ़ाना भी आवश्यक है. इस पुरी लड़ाई में मरीज़ अपने घर से दूर रहता है उसे कई सारे डिप्रेसिंग विचार आतें हैं. हमारा अस्पताल अपने आप में ऐसा पहला अस्पताल है जहां पर मनोचिकित्स्क से अपॉइंटमेंट ले कर मरीज़ों पर पड़ रहे मानसिक दबाव पर काम किया जाता है.

मित्रो रोबर्ट कोरोना से लड़ रहें मरीज़ों की लड़ाई को आसान बना रहा है. उन्हें ना केवल मानसिक रूप से मज़बूत बना रहा है बल्कि उन्हें उनके परिवारों से जोड़ कर उन्हें खुशियां भी दे रहा है. उन्हें सकारत्मकता प्रदान कर रहा है. वहीं जहां देश भर में हज़ारों डॉक्टर्स और स्वास्थकर्मी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं और अब तक 380 डॉक्टर्स संक्रमण के चलते अपनी जान गवा सकतें हैं.

क्या है आर्टिफिशल इंटेलिजेंस -

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस एक ऐसी तकनीक है जिस पर विश्व भर में रिसर्च चल रही है जिससे ऐसी मशीने विकसित की जा सकें जो बिलकुल मनुष्य की तरह सोच सके और कार्य कर सके.

इसके ज़रिए ऐसे मशीन विकसित करने की कोशिश की जा रही है जो वैसे ही सोच सके जैसे ह्यूमन माइंड सोचता है.

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को उपयोग करके ऐसी मशीने बनाई जा रही हैं जो एनवायरनमेंट से इंटरैक्ट करके खुद अपनी बुद्धिमानी से कार्य कर सकती हैं. कहने का मतलब ये है के फ्यूचर में AI का कांसेप्ट और भी मज़बूत होता है तो इससे विकसित रोबोट्स ऐसे होंगे जो प्रॉब्लम से खुद ही निपट सकतें हैं.

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