फ्रांस से लौटी नोएडा की शामली ने दी कोरोना वायरस को मात, स्वस्थ होने के बाद पेरेंट्स के साथ बिता रही हैं वक्त
कोरोना वायरस से फैली महामारी के बीच ये खबर राहत देने वाली हो सकती है. विदेश में पढ़ने वाली नोएडा की शामली ने कोरोना वायरस के चक्रव्यूह को तोड़ कर जीत हासिल कर ली है.
नई दिल्ली: विदेश में पढ़ने वाली नोएडा की शामली 13 मार्च को जब भारत वापस लौटीं तो कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए उन्होंने अपने आप को घर में ही सेल्फ क्वॉरन्टीन कर लिया. घर लौटने के अगले ही दिन उनको कोरोना के सिम्टम्स नज़र आने लगे. 15 मार्च को वह डॉक्टर के पास गईं और तुरंत ही कोरोना टेस्ट करवाया. 17 मार्च को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद तुरंत ही वह ट्रीटमेंट के लिए क्वॉरन्टीन पर चली गई.
ग्रेटर नोएडा के GIIMS में उनका इलाज हुआ, कुछ दिन बाद टेस्ट कराने पर उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई. 26 मार्च को वह हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो गईं. डिस्चार्ज होने के बाद डॉक्टर ने उन्हें एहतियात के तौर पर 14 दिन के लिए घर में ही सेल्फ क्वॉरन्टीन करने के लिए बोला, जिस दौरान डॉक्टर्स लगातार उनके संपर्क में रहे. 14 दिन का सेल्फ क्वॉरन्टीन खत्म करने के बाद अब शामली पूरी तरह से स्वस्थ हैं.
एबीपी न्यूज़ से शामली ने खास बातचीत कर अपने क्वॉरन्टीन, ट्रीटमेंट और यह वक़्त परिवार के लिए कितना मुश्किल रहा इस बारे में बताया, उन्होंने बताया कि, " फ्रांस से भारत इसलिए आई क्योंकि लॉकडाउन की वजह से हमारी यूनिवर्सिटी बंद हो गई थी. हमने उस स्थिति में भारत आना ज्यादा बेहतर समझा. ट्रीटमेंट के लिए जब मैं गई तो वहां क्वॉरन्टीन में रहना था. मेडिकल टीम बहुत सपोर्टिव थी. डॉक्टर्स, मेडिकल स्टाफ और फैमिली के सपोर्ट से सब कुछ सही हो गया. सरकार ने जो भी नियम बनाए हैं उसको फॉलो करें डॉक्टर पर भरोसा रखें वह आपको सही करने के लिए ही सब कुछ कर रहे हैं." शामली ने अपने स्वस्थ होने का और करोना को मात देने का पूरा क्रेडिट डॉक्टर्स को दिया. उन्होंने कहा कि इस मुश्किल वक्त में डॉक्टर्स पर भरोसा किया और पेरेंट्स का सपोर्ट रहा इस वजह से में कोरोनावायरस को मात दे सकी. अब घर पर अपने परिवार के साथ बिता रही हैं. दिलचस्प किताबें पढ़ रही हैं और ऑनलाइन अपने क्लासेस भी ले रही हैं.