(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jammu and Kashmir: कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद से दो मंदिरों की देखभाल कर रहे हैं नूर मोहम्मद डार, रोज करते हैं भगवान शिव का जलाभिषेक
Jammu and Kashmir News: नूर मोहम्मद डार के मुताबिक जब कश्मीरी पंडित पलायन कर रहे थे, तो उस समय गांव के मुस्लिम रोने लगे. वह बताते है कि साल 2011 से वे दोनों मंदिरों की देखरेख कर रहे हैं.
Jammu and Kashmir News: नूर मोहम्मद डार रोज़ सुबह इसी तरह भगवान शिव (Shiva) का जलाभिषेक करते है. पिछले 11 साल से नूर मोहम्मद कश्मीर के अनंतनाग (Anantnag) के लागरीपुरा के अपने गांव (Village) में दो मंदिरों (Temples) की देखभाल कर रहे है. एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में नूर मोहम्मद डार ने बताया कि जब 1989 में कश्मीर में हालात खराब हुए तब यहां इनके गांव में रहने कश्मीरी पंडित रातों-रात अपना घर छोड़कर चले गए और लौट कर वापस नहीं आए.
कश्मीरी पंडित अपने पीछे एक शिव मंदिर और एक खीर भवानी मां का मंदिर छोड़ गए. कश्मीरी पंडितों के घर आज भी ताला लगा है. नूर मोहम्मद डार की माने तो वो कई बार जम्मू गए और कश्मीरी पंडितों को वापस आने के लिए कहा लेकिन वो आज तक नहीं लौटे. डार का कहना है कि हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सब एक हैं और कश्मीर का भाईचारा तो पूरी दुनिया से ही अलग है.
‘कश्मीरी पंडितों के पलायन पर रो पड़ गांव के मुस्लिम’
नूर मोहम्मद डार के मुताबिक जब कश्मीरी पंडित पलायन कर रहे थे, तो उस समय गांव के मुस्लिम रोने लगे. कश्मीरी पंडितों को रुकने के लिए कहा लेकिन वो नहीं रूके. वह बताते है कि साल 2011 से वे दोनों मंदिरों की देखरेख कर रहे हैं. उनकी माने तो साल 2011 में जब कश्मीरी पंडित यहां पर आए तो उन्होंने डार की बहुत तारीफ की. सिर्फ कश्मीरी पंडितों ने ही नही बल्कि कश्मीरी के लोगों ने भी इनके काम की काफी तारीफ की. डार का कहना है कि कश्मीरी पंडितों को यह गांव बुला रहा है उनके घर, उनके मंदिर उन्हें पुकार रहा है.
डार के मुताबिक खीर भवानी का मंदिर कितना पुराना है यह वह खुद भी नहीं जानते लेकिन इसमें कुदरती पानी का चश्मा है. पानी कहां से आ रहा है इन्हें भी नहीं पता, बीचो-बीच माता की मूर्ति लगी है पानी बाहर निकलकर दूसरे चश्मे में जाता है और उसी जल से शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है.
डार ने अपने पैसों से किया मंदिर का पुनर्निर्माण
खीर भवानी मंदिर से ऊपर कुछ ही दूरी पर शिवलिंग है. डार ने अपनी जेब से पैसे लगाकर मंदिर का पुनर्निर्माण किया. उन्होंने यह भी बताया कि बाद में कश्मीरी पंडितों ने उनके पैसे लौटा दिए. उनका कहना है कि मंदिर की रखवाली वह नहीं कर रहा बल्कि ऊपर वाला कर रहा है.
नूर मोहम्मद डार पांच बार मस्जिद में जब नमाज करने जाते हैं तो उसके बाद पांच बार मंदिर भी जरूर आते हैं. मस्जिद एक तरफ है और मंदिर एक तरफ है. इनका कहना है कि दोनों एक ही जगह है जब यह अलग नहीं है तो हम कैसे अलग हो सकते हैं.
नूर मोहम्मद पेशे से कुक है. उनके परिवार में दो बेटी और एक बेटा है, पत्नी की कुछ साल पहले मौत हो गई. घर की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है और उस जिम्मेदारी के साथ-साथ इस शिवलिंग की जिम्मेदारी भी इन्हीं के पर है. पहाड़ों की ऊंचाई पर बना शिव मंदिर पहले नीचे हुआ करता था. डार बताते हैं कि जब वह 5 साल के थे तब नवरात्रि के समय पर शिवलिंग ऊपर स्थापित किया गया था.
‘कश्मीरी पंडित वापस लौट आएं’
शिवरात्रि (Shivratri) के समय दूर-दूर से यहां जहां दूध चढ़ाने और जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालु (Devotees) पहुंचते हैं. नूर मोहम्मद का यही कहना है कि जो कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandits) पलायन कर गए हैं वह वापस लौट आएं और अपने मंदिरों में पूजा अर्चना करें. साल 2011 से जब से नूर मोहम्मद ने दोनों मंदिरों का जिम्मा अपने पास लिया है तब से लोगों ने यहां पर आना शुरू भी कर दिया. हर त्योहार यहां पर मनाया जाता है और दूर-दूर से लोग यहां पर पहुंचते हैं.
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