West Bengal: नॉर्थ बंगाल में ममता बनर्जी और बीजेपी के बीच छिड़ा कौन सा नया संग्राम, दिलचस्प है जंग के इस नए मैदान की कहानी
West Bengal Partition: पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में एक नई राजनीतिक हलचल हो रही है. इसने राज्य की सत्ताधारी टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी की टेंशन बढ़ा दी है.
North Bengal Statehood: पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में एक नया राजनीतिक मैदान तैयार हो रहा है. दिलचस्प बात ये है कि बंगाल की राजनीति में सुपर पॉवर रखने वाली टीएमसी का दांव यहां बीजेपी के सामने कमजोर पड़ जा रहा है. बीते सप्ताह बुधवार (8 फरवरी) को ही टीएमसी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि बीजेपी बंगाल के साथ डबल गेम कर रही है. पार्टी ने बीजेपी से उत्तरी बंगाल को लेकर बीजेपी से सफाई भी मांगा. आखिर उत्तरी बंगाल में क्या चल रहा है और टीएमसी इसे लेकर इतना डरी हुई क्यों है, आइए इसे समझते हैं.
थोड़ा पीछे चलते हैं. 2019 लोकसभा चुनाव तक. उत्तरी बंगाल में राजबंशी समुदाय और गोरखा लंबे समय से अलग राज्य की मांग कर रहे हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के कुछ नेताओं ने इस मांग को हवा देते हुए इसके समर्थन में बयान दिया. लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो इस क्षेत्र में बीजेपी को एकतरफा जीत मिली. 8 लोकसभा सीट में से 7 बीजेपी के खाते में गईं. राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीट बीजेपी ने जीती थी, 22 टीएमसी को मिली.
विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी का रहा दबदबा
अब आते हैं 2021 विधानसभा चुनाव पर, जहां टीएमसी ने सभी को साफ करते हुए प्रचंड जीत हासिल की. राज्य विधानसभा की 294 सीटों में से 211 सीट पर ममता बनर्जी की पार्टी ने कब्जा जमाया. बीजेपी को 77 सीट मिली. इस चुनाव में भी ट्विस्ट हुआ. पूरे बंगाल में तो टीएमसी का खेला हुआ लेकिन उत्तर बंगाल में नहीं.
नॉर्थ बंगाल की 54 विधानसभा सीटों में 29 बीजेपी के खाते में गई. टीएमसी को 24 सीट ही मिली. पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में नॉर्थ बंगाल में बीजेपी की मजबूती टीएमसी के लिए टेंशन बनती जा रही है.
इस चर्चा ने बढ़ाई ममता की टेंशन
इसके अलावा एक और चर्चा है कि केंद्र सरकार कमतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (KLO) के साथ वार्ता शुरू कर सकता है. केएलओ एक उग्रवादी संगठन है. राजबंशी समुदाय के ही एक समूह ने 1995 में इसका गठन किया था. यह नॉर्थ बंगाल और असम के कुछ हिस्से को मिलाकर एक नया राज्य बनाने की मांग करता है.
हालांकि, बीजेपी ने ऐसी किसी बातचीत से इनकार किया है लेकिन इन सुगबुगाहटों ने सीएम ममता बनर्जी के माथे पर बल ला दिए हैं. टीएमसी राज्य के बंटवारे का विरोध कर रही है. उसने इसके खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने का एलान किया है.
बीजेपी के लिए कमजोर कड़ी
फिलहाल, यहां पिछले दो चुनावों में बीजेपी के पक्ष में स्थितियां रही हैं और इस बार पंचायत चुनाव में भी पार्टी मजबूती दिखाना चाह रही है. बीजेपी ने आगामी पंचायत चुनावों में इस क्षेत्र से कम से कम 5 जिला परिषद जीतने का लक्ष्य बनाया है.
टीएमसी भी अपना पूरा जोर लगा रही है. पिछले महीने ही ममता बनर्जी उत्तरी बंगाल के दौरे पर थीं. उन्होंने उत्तरी बंगाल को लेकर बीजेपी पर गलत नैरेटिव तैयार करने का आरोप लगाया था. वहीं, टीएमसी के लिए उत्तरी बंगाल के मैदानी इलाकों से राहत भरी खबर है तो बीजेपी के लिए टेंशन वाली. क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर 3 विधायक अब तक टीएमसी में जा चुके हैं. इनमें से एक, अलीद्वारपुर से बीजेपी विधायक सुमन कांजीलाल ने तो इसी 5 फरवरी को पाला बदला था.
डैमेज कंट्रोल की कोशिश
वहीं, टीएमसी को गोरखा प्रादेशिक प्रशासन (GTA) में भी एंट्री मिली है लेकिन दूसरी तरफ बिमल गुरुंग, बिनय तमांग जैसे नेता एक साथ आ गए हैं और गोरखालैंड की मांग उठा रहे हैं. यह स्थिति बीजेपी के लिए फायदेमंद होगी.
फिलहाल, अपने विधायक के जाने को लेकर बीजेपी आराम से नहीं है. विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी बीते शुक्रवार को ही क्षेत्र के अलीपुरद्वार में रैली को संबोधित करते हुए कांजीलाल पर कार और कुछ पैसे के लिए पाला बदलने का आरोप लगाया. इस दौरान शुभेंदु अधिकारी ने कहा, हमने कभी राज्य के विभाजन की मांग नहीं की लेकिन उत्तर बंगाल के लोग वंचित हैं. ये हम बार-बार कहेंगे.
ये भी पढ़ें