उत्तर भारत के कई हिस्सों में अभी से ही तेज गर्मी पड़ने लगी है. कुछ जगहों पर लू चल रही है. नई दिल्ली में रविवार को 38 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान दर्ज किया गया है. जो राष्ट्रीय राजधानी के लिए अब तक का सबसे गर्म तापमान है. जम्मू और उत्तराखंड में भी गर्मी बढ़ गई है. इन राज्यों से भी पिछले हफ्ते कुछ समय के लिए लू की सूचना मिली थी. राजस्थान पिछले करीब एक हफ्ते से लू की चपेट में है. दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई इलाकों में पिछले कुछ दिनों से पारा चढ़ गया है और गर्म हवाएं चल रही हैं. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में तापमान बढ़ने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है. अब ये समझने की कोशिश करते हैं कि मार्च में उत्तर और उत्तर पश्चिम भारत में इतनी गर्मी क्यों है?
मार्च से गर्मी की शुरुआत
शीतकालीन संक्रांति के बाद सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है. मार्च के साथ भारत में अधिकतम तापमान में बढ़ोत्तरी की प्रवृत्ति दिखाई देती है, जो दक्षिणी भागों से शुरू होती है और उसके बाद मध्य और उत्तरी भारत में तापमान बढ़ता है. मार्च भारत में गर्मी के मौसम की शुरुआत है. इस महीने के दौरान अधिकतम ताप क्षेत्र ओडिशा और गुजरात के बीच मध्य भारत के क्षेत्रों में चलता है. अप्रैल और मई में अधिकतम तापमान चरम पर होता है और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिम मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र में विदर्भ, गंगा के कुछ हिस्सों में फैले कोर हीटवेव जोन की पहचान करता है. उत्तर पश्चिम भारत के रेगिस्तानों से आने वाली गर्म हवाएं भी मध्य भारत के क्षेत्रों में बढ़ते तापमान में योगदान करती हैं.
पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय नहीं
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक राजस्थान में सामान्य तौर पर मार्च के अंत में बनने वाला एंटी-साइक्लोन इस बार जल्दी बना है. पश्चिमी विक्षोभ भी सक्रिय नहीं है. इससे थार मरुस्थल और पाकिस्तान से गर्म हवाएं आनी शुरू हो गई हैं. मौसम विभाग के मुताबिक पिछले कुछ दिनों के दौरान, गुजरात, दक्षिण पाकिस्तान से दक्षिणी हवाओं ने गर्मी को दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिम राजस्थान में ले लिया. कोई सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ नहीं था, जो ठंडी हवाएं लाता है. परिणामस्वरूप, जम्मू, राजस्थान और आसपास के क्षेत्रों में तापमान सामान्य से अधिक रहा. मौसमी संक्रमण के साथ-साथ, प्री-मानसून वर्षा की कमी ने तापमान को बढ़ाने में योगदान दिया है. आईएमडी ने बताया कि मार्च में देश के अधिकांश हिस्सों में गरज के साथ अहम गतिविधि और संबंधित वर्षा नहीं हुई है.
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