North Eastern Council Meeting: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) में पूर्वोत्तर परिषद की बैठक को फिलहाल टाल दिया गया है. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में होने वाली यह बैठक पांच नवंबर को होनी थी. नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल (North Eastern Council) की यह बैठक कोलकाता में आयोजित होनी थी, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों समेत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को भी उपस्थित रहना था. अब जब अमित शाह इस बैठक में शामिल होने के लिए नहीं आ रहे हैं, तो बैठक बाद में किसी और समय पर आयोजित की जाएगी.


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसी महीने की 8 तारीख को असम के गुवाहाटी में पूर्वोत्तर परिषद की 70वीं पूर्ण बैठक की अध्यक्षता की थी. इस बैठक में पूर्वोत्तर के राज्यों के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, उत्तरपूर्वी मामलों के केन्द्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी, उत्तरपूर्वी मामलों के राज्यमंत्री बीएल वर्मा सहित केन्द्र और पूर्वोत्तर के राज्यों के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित हुए थे. 


पूर्वोत्तर के विकास पर बोले शाह


इस बैठक में अमित शाह ने पूर्वोत्तर के विकास की राह में दशकों से तीन प्रमुख बाधाओं उग्रवाद, ट्रांसपोर्टेशन और पिछली सरकारों की पूर्वोत्तर की अनदेखी को लेकर अपने विचार साझा किए. अमित शाह ने कहा कि पिछली सरकारों ने पूर्वोत्तर के विकास को कभी भी प्राथमिकता नहीं दी.


वहीं, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले 8 सालों में पूर्वोत्तर में उग्रवाद का खात्मा कर यहां शांति स्थापित करने और पूर्वोत्तर में हर प्रकार की कनेक्टिविटी बढ़ाने की दिशा में अनेक प्रयास किए हैं. उस दौरान उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बाढ़ नियंत्रण, पर्यटन, वनीकरण और कृषि के लिए एनईएसएसी का पूरा उपयोग करने का आग्रह किया.


पूर्वोत्तर परिषद का उद्देश्य


पूर्वोत्तर परिषद का गठन केंद्र सरकार ने वर्ष 1971 में देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के सात राज्यों-अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा के सामाजिक एवं आर्थिक विकास को गति देने के लिए किया था. साल 2002 में एनईसी एक्ट में संशोधन कर सिक्किम को भी इसमें शामिल किया गया. परिषद पूर्वोत्तर राज्यों के साझा हितों (संचार, परिवहन, बाढ़ नियंत्रण, ऊर्जा आदि) से संबंधित मामलों में विचार कर केंद्र सरकार को सलाह देती है. पूर्वोत्तर परिषद का मुख्यालय शिलांग में हैं. 


देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले पूर्वोत्तर के राज्य पिछड़े हुए हैं, इसलिए परिषद उनके आर्थिक एवं सामाजिक विकास से संबंधित योजनाओं पर विशेष ध्यान देती है. इसके अलावा परिषद अंतरराज्यीय विवादों को सुलझाने का काम भी करती है. हालांकि, यह केंद्र की वित्तीय सहायता पर निर्भर है, लेकिन संबंधित राज्य भी इसे समय-समय पर आर्थिक मदद करते रहते हैं.


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