केरल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हर किसी को दवाएं लिखने की इजाजत नहीं दी जा सकती'
केरल हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इस तथ्य का जिक्र किया था कि आयूष मंत्रालय के परामर्श का सरकार अनुसरण कर रही है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उन लोगों को मुफ्त में गोलियां दे रही है. राज्य मेडिकल प्रोटोकाल के अनुसार कोविड-19 से प्रभावित व्यक्तियों का सरकार और उसके द्वारा अधिकृत लोगों के अलावा कोई अन्य उपचार नहीं करेगा.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर किसी को दवाएं लिखने की इजाजत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने कोविड-19 के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के नाम पर आयूष के डॉक्टरों को गोलियां लिखने की अनुमति देने के केरल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता को निर्देश दिया कि हाईकोर्ट के 21 अगस्त के आदेश के खिलाफ अपील में वह एक हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करें.
सुप्रीम कोर्ट ने मेहता से जानना चाहा कि क्या आयूष मंत्रालय के इस बारे में कोई दिशा निर्देश हैं. आयूष मंत्रालय (आयूर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी के लिए हैं) के सॉलसीटर जनलर ने कहा कि वह इस बारे में दिशानिर्देश रिकॉर्ड पर लाएंगे. पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'अनुरोध के अनुरूप एक हफ्ता का समय दिया जाता है. इस एक हफ्ते के बाद सूचीबद्ध किया जाए.'
इस मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की, "हर किसी को दवाएं लिखने की इजाजत नहीं दी जा सकती और हो सकता है प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इनका इस्तेमाल हो लेकिन उपचार के लिए नहीं."
हाईकोर्ट ने क्या आदेश दिया था केरल हाईकोर्ट ने उस याचिका पर यह आदेश दिया था जिसमें आयूष मंत्रालय की छह मार्च की अधिसूचना के अनुरूप होम्योपैथी डॉक्टरों को काम करने की तत्काल अनुमति देने का राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए. इस अधिसूचना में कहा गया था कि राज्य सरकार कोरोना वायरस के खिलाफ संघर्ष में होम्योपैथी पद्धति को दूसरी चिकित्सा पद्धतियों को अपनाने के लिए कदम उठाएगी.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इस तथ्य का जिक्र किया था कि आयूष मंत्रालय के परामर्श का सरकार अनुसरण कर रही है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उन लोगों को मुफ्त में गोलियां दे रही है. राज्य मेडिकल प्रोटोकाल के अनुसार कोविड-19 से प्रभावित व्यक्तियों का सरकार और उसके द्वारा अधिकृत लोगों के अलावा कोई अन्य उपचार नहीं करेगा.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि सरकार के मेडिकल प्रोटोकाल के अनुसार आयूष चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक कोई भी दवा कोविड-19 बीमारी के इलाज के लिए बताते हुए नहीं लिखेंगे. अदालत ने यह भी कहा कि भारत सरकार के आयूष मंत्रालय द्वारा जारी परामर्श में आयूष चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों द्वारा प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले मिश्रण या गोलियां लिखने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
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