वडोदरा: क्या आप सोंच सकते हैं कि एशिया का सबसे बड़ा कुरना किस देश में है? इस सवाल के जवाब में पाकिस्तान, बंगलादेश और मलेशिया जैसे मुस्लिम देशों का नाम आपके दिमाग में आ रहा होगा, लेकिन आपको यह जान कर हैरानी होगी कि एशिया का सबसे बड़ा कुरान इस महाद्विप के किसी मुस्लिम देश में नहीं है बल्कि यह गंगा-जमुनी तहजीब की विरासत समेटे भारत में है.
चुनावी घमासान के बीच एबीपी न्यूज़ गुजरात में रोचक चीज़ों से भी आपको रूबरू करवा रहा है. इस कड़ी में हम आज आपको बता बता रहे हैं वडोदरा के एक मदरसे की ऐसी कहानी जहां दावा किया जाता है कि एशिया का सबसे बड़ा कुरान मौजूद है. ये कुरान फिलहाल वडोदरा के तंदलजा इलाके में बने दारुल उलूम मदरसे में रखी हुई है.
करीब 240 साल पुराना है कुरान
मदरसे के मोहतमिम यानि प्रिंसिपल मुफ़्ती आरिफ साहब से एबीपी न्युज ने बातचीत की. मुफ़्ती आरिफ इस कुरान की खासियत बताते हैं ये करीब 240 साल पुराना है. वडोदरा के ही मोहम्मद गौस नाम के एक आदमी ने इसे लिखा था. सुरमे वगैरह से मिलाकर इंक बनाई और कागज़ भी खुद बनाया है. इस कुरान का अर्थ और व्याख्या पर्सियन भाषा मे किया गया है. मुफ़्ती आरिफ के मुताबिक इसको लिखने में 20 साल का वक़्त लगा. आपको बता दें कि देश-विदेश से सभी लोग इसे देखने आते हैं. इससे पहले ये कुरान वडोदरा की जामा मस्जिद में रखा गया था. अब फिलहाल ये दारुल उलूम मदरसे में रखा गया है.
रख-रखाव के लिए ईरान से आती है एक टीम
मुफ़्ती यरफ बताते हैं कि इसके रख-रखाव के लिए ईरान से एक टीम आती है. ये सब ईरान एम्बेसी की देख-रेख में होता है. इस कुरान की लंबाई में लगभग 2 मीटर है और चौड़ाई बंद हालत में 1.5 मीटर का होता है और जब खोलते हैं तो 2.30 मीटर के करीब का हो जाता है. दारुल उलूम मदरसे में 350 बच्चे इस्लामी शिक्षा हासिल करते हैं. साथ ही मदरसे के एक हिस्से में 8वीं तक स्कूल भी चलता है. जहां इंग्लिश मीडियम में 250 और गुजराती मीडियम में 350 छात्र पढ़ते हैं.