न सिर्फ 2जी बल्कि कई अन्य मामलों की न्यायिक जांच में विफल रही है सीबीआई
सीबीआई की विफलताओं के चलते कभी सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी को 'पिंजरे में बंद तोता' कहा था. सीबीआई को इस तरह के कई मामलों में अदालतों में शर्मसार होना पड़ा है और उसके द्वारा की गई जांच पर सवाल उठे हैं
नयी दिल्ली: देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) न सिर्फ 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में बल्कि कई अन्य हाई प्रोफाइल और राजनैतिक रूप से संवेदनशील मामलों में न्यायिक जांच की बाधा को पार नहीं कर पाई है. मालूम हो कि सीबीआई की इसी विफलता के चलते कभी सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी को 'पिंजरे में बंद तोता' कहा था. सीबीआई को इस तरह के कई मामलों में अदालतों में शर्मसार होना पड़ा है और उसके द्वारा की गई जांच पर सवाल उठे हैं.
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित भ्रष्टाचार से लेकर संवेदनशील आरुषि हत्याकांड में सीबीआई द्वारा की गई जांच की न सिर्फ निचली अदालतों से बल्कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से भी तीखी आलोचना की गई.
2जी स्पेक्ट्रम मामले ने मनमोहन सिंह सरकार को हिला कर रख दिया था. इस मामले में सीबीआई ने चार अलग-अलग मामलों में आरोप पत्र दायर किया था. ये आरोप पत्र कई पन्नों में थे, लेकिन हैरान कर देने वाली बात है कि एजेंसी एक भी आरोपी को दोषी साबित नहीं कर पाई.
2 जी स्पेक्ट्रम से संबंधित दो मामलों, एयरसेल मैक्सिस सौदा और अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन मामले, में आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया गया जबकि मुख्य मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और अन्य को अदालत ने बरी कर दिया था. विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओ पी सैनी ने एस्सार समूह और लूप टेलीकॉम के प्रमोटरों को भी बरी कर दिया था.
आरुषि-हेमराज हत्याकांड में सीबीआई की थ्योरी की अक्टूबर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तीखी आलोचना की थी. यहां भी न्यायालय ने इस मामले में आरोपी आरुषि के माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार को बरी कर दिया था.
सीबीआई की जांच राजनैतिक रूप से संवेदनशील बोफोर्स मामले में भी दिल्ली हाईकोर्ट की जांच में नहीं टिक पाई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 मई 2005 को हिंदुजा बंधुओं श्रीचंद, गोपीचंद, प्रकाश चंद और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सभी आरोपों को निरस्त कर दिया था.
हाईकोर्ट ने बोफोर्स मामले से निपटने को लेकर सीबीआई को फटकार लगाई थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि इससे सरकारी खजाने पर तकरीबन 250 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा.
बता दें कि साल 2010 में सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक संस्था) ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में गड़बड़ियां की गयीं हैं और इससे देश को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. इस खबर ने देश में ऐसा राजनीति भूचाल मचाया था कि जिसकी वजह से कांग्रेस को सत्ता से दूर होना पड़ा. 2G स्पेक्ट्रम का आवंटन साल 2008 में किया गया था.