नई दिल्ली: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्रा राजकीय सम्मान के साथ उनके आवास से बीजेपी मुख्यालय पहुंच चुकी है. पूर्व प्रधानमंत्री का पार्थिव शरीर एक तोप-गाड़ी (गन-कैरेज) में रख कर कर बीजेपी मुख्यालाय ले जाया गया. पूर्व प्रधानमंत्री का पार्थिव शरीर तिरंगे लेपेटा गया है. अटल बिहारी वाजपेयी की इस अंतिम यात्रा को भव्य बनाने का पूरा इंतजाम किया गया है. पूरे राजकीय सम्मान के साथ पूर्व प्रधानमंत्री की अंतिम यात्रा की पूरी जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय के सेरेमोनियल विंग की तरफ से निभाई जा रही है.



क्या होता है राजकीय सम्मान


अंतिम संस्कार के दौरान राजकीय सम्मान पहले केवल वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, केंद्रीय मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्रियों के लिए दिया जाता है. मगर अब राजकीय सम्मान से किए जाने वाले अंतिम संस्कार के लिए कानून बदल दिए गए हैं. राज्य सरकार ये तय कर सकती है कि किसे राजकीय सम्मान दिया जाना है. अब राजनीति, साहित्य, कानून, विज्ञान और कला के क्षेत्र में योगदान करने वाले शख्सियतों के निधन पर उन्हें राजकीय सम्मान दिया जाने लगा. राजकीय सम्मान से होने वाले अंतिम संस्कार के सारे बन्दोबस्त राज्य सरकार की तरफ से किया जाता है.



राजकीय सम्मान से किए जाने वाले दिवंगत के अंतिम संस्कार के दौरान उस दिन को राष्ट्रीय शोक के तौर पर घोषित कर दिया जाता है. भारत के ध्वज संहिता के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है. इस दौरान एक सार्वजनिक छुट्टी घोषित कर दी जाती है. दिवंगत के पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज के ढक दिया जाता है. हालांकि, अंतेष्टि किए जाने के दौरान राष्ट्रीय ध्वज को दिवंगत के पार्थिव शरीर से हटा लिया जाता है. इस दौरान दिवंगत को 21 बंदूकों की सलामी भी दी जाती है.


इन्हें दिया जा चुका है राजकीय सम्मान 


प्रधानमंत्री रहने के दौरान जवाहर लाल नेहरू (1964), लाल बहादुर शास्त्री (1966), इंदिरा गांधी (1984) के साथ उन पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के दौरान राजकीय सम्मान दिया गया है जिनमें- राजीव गांधी (1991), मोरारजी देसाई (1995), चंद्रशेखर सिंह (2007) जैसे अन्य पूर्व प्रधानमंत्री शामिल थे. आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (2018) को राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जा रही है.


उन शख्सियतों के निधन पर भी राजकीय सम्मान दिया गया जो वर्तमान या पूर्व में संविधानिक पद पर नहीं थे जिनमें महात्मा गांधी (1948), मदर टेरेसा (1997), भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड (2008), गंगुबाई हंगल (2009), भीमसेन जोशी (2011), बाल ठाकरे (2012), सरबजीत सिंह (2013), वायुसेना के मार्शल अर्जुन सिंह (2017), शशि कपूर (2017), श्रीदेवी (2018), दादा जे पी वासवानी (2018) जैसे नाम शामिल हैं.