SC On Demonetisation: नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में 2016 में नोटबंदी करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले को सही ठहराया है. इसके साथ ही नोटबंदी के खिलाफ की गई 58 याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है. 5 न्यायमूर्तियों की बेंच में 4 ने बहुमत से नोटबंदी के पक्ष में फैसला दिया. वहीं जस्टिस बीवी नागरत्ना की राय अलग रही. आइए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 5 सबसे अहम बातें जानते हैं.
- कोर्ट ने कहा कि आरबीआई अधिनियम की धारा 26 में उल्लिखित 'कोई भी' शब्द का प्रतिबंधात्मक अर्थ नहीं दिया जा सकता है (कोर्ट ने यह उन याचिकाकर्ताओं के संदर्भ में कहा जिनका यह कहना है कि किसी मूल्यवर्ग की सभी सीरीज का विमुद्रीकरण नहीं किया जा सकता है क्योंकि आरबीआई अधिनियम की धारा 26 में "किसी भी" का उल्लेख है और "सभी का नहीं'').
- कोर्ट ने महत्वपूर्ण नोट में लिखा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया को केवल इसलिए गलत नहीं ठहाराया जा सकता है क्योंकि यह प्रस्ताव केंद्र की ओर से लाया गया था.
- केंद्र सरकार को आरबीआई से चर्चा के बाद ये फैसला लेने का अधिकार है. न्यायमूर्तियों ने कहा कि केंद्र और आरबीआई के बीच 6 महीने तक चर्चा की गई थी, इसलिए निर्णय प्रक्रिया को गलत नहीं का जा सकता.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा फैसला लेते समय अपनाई गई प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी, इसलिए फैसले को रद्द करने की कोई जरूरत नहीं है.
- इस सवाल पर कि इसके लिए लोगों को समय नहीं दिया गया, कोर्ट ने कहा, ''लोगों को नोट बदलने के लिए 52 दिन का समय दिया गया. हमें नहीं लगता कि यह कहीं से भी गलत है.''
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