नोटबंदी और जीएसटी ने धीमी विकास दर को 'मजबूत' किया: मुख्य आर्थिक सलाहकार
नोटबंदी और जीएसटी को लेकर विपक्ष ही सिर्फ सरकार पर आरोप नहीं लगा रहे हैं बल्कि माना जा रहा है कि देश का व्यपारी वर्ग भी इससे नाराज है. आप इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि गुजरात चुनाव से ठीक पहले सरकार को जीएसटी के स्लैब में बदलाव करने का फैसला लेना पड़ा.
नई दिल्ली: नोटबंदी और जीएसटी को ले कर देश में जारी बहस के बीच देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने इसे बेहतर और उचित बताया है. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यन ने बुधवार को कहा कि हो सकता है कि नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के कारण पहले से ही धीमी विकास दर और अधिक “मजबूत” हो गई है.
उन्होंने आत्मविश्वास दिखाते हुए कहा कि “हम बहुत जल्द इन दो नीतिगत प्रयोगों से बाहर निकल जाएंगे” और विकास दर को तेज कर सकेंगे. मीडिया के साथ बुधवार को हुई एक बातचीत में उन्होंने कहा, “अगर आप संख्या के हिसाब से देखें तो मेरे हिसाब से विकास की गति इन दो कार्यों से पहले ही धीमी हो चुकी थी. मेरे खयाल से न केवल विकास, बल्कि निवेश, साख, निर्यात, औद्योगिक उत्पादन, इन सभी की गति पिछले साल की दूसरी तिमाही से ही कम होनी शुरू हो गई थी.नोटबंदी और जीएसटी को ले कर विपक्ष के निशाने पर है सरकार
बता दें कि नोटबंदी और जीएसटी के फैसलों से सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है. नोटबंदी और जीएसटी को लेकर विपक्ष ही सिर्फ सरकार पर आरोप नहीं लगा रहे हैं बल्कि माना जा रहा है कि देश का व्यपारी वर्ग भी इससे नाराज है. आप इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि गुजरात चुनाव से ठीक पहले सरकार को जीएसटी के स्लैब में बदलाव करने का फैसला लेना पड़ा.
उन्होंने कहा, “यह निश्चित ही पहले से ही शुरू हो चुका था. यह संभव है कि इन दोनों कदमों (नोटबंदी और जीएसटी) ने इस धीमी गति को और मजबूत ल कर दिया हो. मेरे हिसाब से हम इन दोनों नीति प्रयोगों से बहुत जल्द बाहर आ जाएंगे और विकास की राह पर मजबूती से आगे बढ़ेंगे.” उन्होंने कहा, “बेहतर साख वृद्धि, निवेश वृद्धि और निर्यात में वृद्धि के साथ जीडीपी में फिर से सुधार होगा. भारतीय अर्थव्यवस्था में आठ से 10 प्रतिशत तक की दर से वृद्धि होने की क्षमता है. जीएसटी भी स्थिर हो रहा है, इससे भी इसमें मदद मिलेगी.”