कारवां गुजर गया: कवि गोपालदास नीरज का 94 साल की उम्र में निधन
उनके बेटे शशांक प्रभाकर ने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को पहले आगरा में लोगों के अंतिम दर्शनार्थ रखा जाएगा और उसके बाद पार्थिव देह को अलीगढ़ ले जाया जाएगा जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
नई दिल्ली: पद्मभूषण से सम्मानित हिंदी के वरिष्ठ कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज का 94 साल की उम्र में आज दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया. गोपालदास नीरज काफी लंबे वक्त से बीमार थे. उनका जन्म चार जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था. उनके बेटे शशांक प्रभाकर ने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को पहले आगरा में लोगों के अंतिम दर्शनार्थ रखा जाएगा और उसके बाद पार्थिव देह को अलीगढ़ ले जाया जाएगा जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
गोपाल दास नीरज हिंदी के उन चुनिंदा गीतकारों में से थे जिन्होंने साहित्य के साथ-साथ फिल्म जगह में भी उतना नाम और सम्मान पाया. गोपालदास नीरज को उनके गीतों के लिए तीन बार फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला. फिल्म अभिनेता राजकपूर और गोपाल दास नीरज की जोड़ी फिल्म इंडस्ट्री में हिट थी. उन्होंने राजकपूर की सुपरहिट फिल्में 'मेरा नाम जोकर' और 'कल आज और कल' के गीत लिखे.
शायर मुनव्वर राणा ने एबीपी न्यूज़ से कहा, ''किसी शायर का शेर है कि लोग अच्छे दिल में उतर जाते हैं...यही एक खराबी है कि मर जाते हैं. उनके जाने से हिंदी शायरी की तहजीब और संस्कारों का भी आज खात्मा हो गया है. वो मेरे उस्ताद के दोस्त थे इसलिए उनके साथ मेरा अलग ही रिश्ता था.''
शायर राहत इंदौरी ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा, '' ये एक सदी का नुकसान है, करीब 50 साल तक लोगों ने उन्हें सुना और जिया. वो मेरे बहुत खास थे. उर्दू वाले समझते थे कि वो उर्दू के शायर हैं जबकि हिंदी वाले समझते थे कि वो कवि हैं. लेकिन उनके जाने से जो आज नुकसान हुआ है उसकी भरपाई नहीं हो सकती.''
गोपाल दास नीरज के चर्चित फिल्मी गीत वो हम न थे, वो तुम न थे शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब आज मदहोश हुआ जाए रे स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से लिखे जो खत तुझे ऐ भाई! जरा देख के चलो दिल आज शायर है जीवन की बगिया महकेगी मेघा छाए आधी रात खिलते हैं गुल यहां फ़ूलों के रंग से रंगीला रे! तेरे रंग में
गोपाल दास नीरज की कुछ प्रसिद्ध कविताएं कारवां गुज़र गया मेरा नाम लिया जाएगा मेरा गीत दिया बन जाए तिमिर ढलेगा तुम दीवाली बन कर मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था मानव कवि बन जाता है