भारत की ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने अपने प्लॉफॉर्म पर विक्रेताओं के लिए शुल्क कटौती को लेकर बड़ा बयान दिया है. फ्लिपकार्ट का कहना है कि उसे अपने प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं के लिए शुल्क में कटौती करने की पेशकश करने में कुछ भी गलत नहीं लगता है. बशर्ते अगर वे उत्पाद की कीमतें कम करते हैं. दरअसल भारतीय खुदरा विक्रेताओं के आरोपों से जूझ रही कंपनी फ्लिपकार्ट के वकील ने अदालत में एक सुनवाई के दौरान ये बात कही.
आपको बता दें कि जून की शुरुआत में कोर्ट ने कंपनियों की दलीलों को खारिज कर दिया था. जिसके बाद फ्लिपकार्ट और अमेज़ॅन भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की बोली के खिलाफ फिर से अदालत में लड़ाई लड़ रही है. फ्लिपकार्ट और अमेज़ॅन दोनों सालों से भारतीय खुदरा विक्रेताओं के आरोपों से जूझ रहे हैं. जो कि कुछ विक्रेताओं के पक्ष में और उत्पादों की कीमतों को प्रभावित करके विदेशी निवेश कानून को दरकिनार कर देते हैं, जो गलत है. कंपनियों का कहना है कि वे भारतीय बाजार के सभी कानूनों का पालन करती हैं.
इस पूरे मामले पर कोर्ट में दलील पेश करते हुए फ्लिपकार्ट के वकील हरीश साल्वे ने कर्नाटक में दो-न्यायाधीशों की पीठ से कहा कि उन्हें फ्लिपकार्ट मार्केटप्लेस के विक्रेताओं को यह बताने में कुछ भी गलत नहीं लगता है कि अगर वे बाजार में अपनी कीमतों को कम करते हैं तो उनसे कम शुल्क लिया जाएगा. खासतौर पर उन्होंने हिंदू त्योहार दिवाली का जिक्र किया. जब वेबसाइटें बिक्री करती हैं. और बड़े बड़े ऑफर देती हैं. वकील हरीश शाल्वे ने कहा, "मैं अपने विक्रेताओं से दिवाली जैसे समय पर कहता हूं कि यदि आप अपनी कीमतें कम करते हैं, तो मैं आपको किराए में कमी दूंगा. इसमे क्या गलत है?"
फ्लिपकार्ट का तरफ से दी गई इस दलील की अखिल भारतीय व्यापारियों के परिसंघ ने आलोचना की है. ये संघ ई-कॉमर्स दिग्गजों के विरोध में चल रहे मुकदमे का पक्षधर है. इस संघ की तरफ से कहा गया है कि इन कंपनियों द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों के तहत प्रथाओं को प्रतिबंधित किया गया था। CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि कोर्ट में फ्लिपकार्ट की तरफ से दी गीं दलील स्पष्ट रूप से CAIT द्वारा बार-बार किए गए दृष्टिकोण और शिकायतों की पुष्टि करती हैं। उन्होने कहा कि देश में 80 मिलियन खुदरा स्टोर का प्रतिनिधित्व करने वाले बाज़ार को कीमतों को प्रभावित नहीं करना चाहिए.
इस दौरान उन्होने कहा कि ई-कॉमर्स के लिए भारत का विदेशी निवेश कानून कहता है. कि मार्केटप्लेस प्रदान करने वाली संस्थाएं वस्तुओं या सेवाओं के बिक्री मूल्य को प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं करेंगी".
आंतरिक अमेज़ॅन दस्तावेजों के आधार पर फरवरी में एक जांच से पता चला है कि अमेरिकी कंपनियां भी कई सालों से विक्रेताओं के एक छोटे समूह को तरजीही दे रही हैं. इसके लिए अमेरिकी कंपनियों ने रियायती शुल्क को हटा दिया है और कुछ के लिए प्लेटफ़ॉर्म शुल्क कम कर दिया है ताकि वे विक्रेता बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी कीमतों की पेशकश कर सकें.
अपनी इस लड़ाई में अमेज़न का कहना है कि वह किसी भी विक्रेता को तरजीह नहीं देता है" और कीमतें केवल विक्रेताओं द्वारा तय की जाती हैं.
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