नई दिल्ली: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने मंगलवार को मांग की कि भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) की वह अधिसूचना वापस ली जानी चाहिए जिसमें आयुर्वेद के स्नातकोत्तर डॉक्टरों को सामान्य सर्जरी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित किए जाने की अनुमति दी गई है. इसने कहा है कि यह चिकित्सा शिक्षा या प्रैक्टिस का ‘‘खिचड़ीकरण’’ है.
आयुष मंत्रालय के अधीन भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के नियमन से जुड़ी सांविधिक इकाई सीसीआईएम ने 20 नवंबर को जारी अधिसूचना में 39 सामान्य सर्जरी प्रक्रियाओं को सूचीबद्ध किया था जिनमें से 19 प्रक्रियाएं आंख, नाक, कान और गले से जुड़ी हैं. इसके लिए भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (स्नातकोत्तर आयुर्वेद शिक्षा) अधिनियम, 2016 में संशोधन किया गया था.
आईएमए ने 22 नवंबर को इस कदम की निन्दा की थी और चिकित्सा प्रणालियों के मिश्रण को पीछे की ओर ले जानेवाला कदम करार दिया था.
इसने मंगलवार को एक बयान में कहा कि यह चिकित्सा शिक्षा और प्रैक्टिस के ‘‘खिचड़ीकरण’’ का प्रयास है. देश का समूचा आधुनिक चिकित्सा व्यवसाय इस तरह की चीजों से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है. आईएमए ने संबंधित अधिसूचना को वापस लिए जाने की मांग की.