नई दिल्ली/करनालः दिल्ली की आबोहवा खराब करने वाली पराली अब किसानों के लिए संजीवनी साबित होगी. पराली से ना सिर्फ बायोगैस और सीएनजी बनाई जाएगी बल्कि पराली देने के बदले किसानों को मुफ्त में सीएनजी और बायोगैस भी मिलेगी. पराली से बायोगैस और सीएनजी तैयार करने के लिए देश के पहले बायोगैस प्लांट ने आज से काम शुरू कर दिया गया है.
सीएनजी के क्षेत्र में काम कर रही देश की सबसे बड़ी सरकारी संस्था इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) के सहयोग से अजय बायो एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड ने हरियाणा के करनाल में प्लांट की शुरुआत की है.
प्लांट शुरू होने से पहले ही कंपनी ने करनाल के आसपास की करीब 5 हजार एकड़ क्षेत्र की पराली संग्रहित कर डाली. जबकि, कंपनी करीब 20 हजार एकड़ जमीन की पराली किसानों से लेगी.
गौरतलब है कि भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा शुरू की गई संपीड़ित बायो गैस (CBG) पर 'SATAT' (सस्टेनेबल ऑप्शनल टुअर्ड अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन) योजना के तहत देशभर में 5000 बायो गैस प्लांट की शुरुआत करनी है.
सरकार की मंशा है कि डीजल डीजल और पेट्रोल की खपत भी कम की जाए और उससे होने वाले प्रदूषण को भी रोका जाए. इसके लिए जरूरी है कि भारत में मौजूद संसाधनों से बायोगैस का उत्पादन किया जाए. जिसके लिए भारत सरकार ने पहल की है. इसलिए 2 सालों से दिल्ली में सितंबर से लेकर जनवरी तक प्रदूषण तेजी से बढ़ता है.
माना जा रहा है कि हरियाणा में किसान बड़ी संख्या में पराली जलाए जाते हैं. कारण है खेतों में मौजूद पराली को उठाने में किसानों को मजदूरी देनी पड़ती है. पैसा खर्च करना पड़ता है जिससे बचने के लिए किसान उस पराली में आग लगा देते हैं. उससे उठने वाले धोने से दिल्ली और आसपास के इलाकों में गैस चैंबर बन जाता है. जो सांस लेने में दिक्कत करता है.
इसकी वजह से ही हर समय घना कोहरा जैसा माहौल रहता है. इसकी रोकथाम के लिए ही मंत्रालय ने सबसे पहले हरियाणा में अपने प्लांट की शुरुआत की. इसी कड़ी में आज आईजीएल के सहयोग से पहला गैस प्लांट का भूमि पूजन किया गया. इस मौके पर आईजीएल के प्रबंध निदेशक ईएस रंगनाथन, अजय बायो एनर्जी के अजय बंसल व अन्य मौजूद रहे.
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री रंगनाथन ने कहा की पर्यावरण प्रदूषण आज इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चिंता है. और हमारा प्रयास है कि किसानों के लिए अतिरिक्त आय के अवसर पैदा करने के अलावा प्रदूषण के खतरनाक स्तर को कम किया जा सके.
कंपनी के अध्यक्ष अजय बंसल ने बताया कि प्लांट हर दिन 10,000 किलोग्राम सीबीजी का उत्पादन करेगा. पौधे का इनपुट प्रमुख रूप से धान की पराली है. इस संयंत्र में एक वर्ष में लगभग 40,000 टन धान के पराली का उपभोग करने की क्षमता है. जो करनाल जिले में 20,000 एकड़ खेत से लिया जाएगा.
यह सीबीजी प्लांट दुनिया का एक प्रकार होगा जिसमें ट्रैक्टर और अर्थ मूवर्स स्थानीय उत्पादक सीबीजी पर चलेंगे. इसके अलावा जेनसेट सीबीजी पर भी चलेंगे. प्लांट से उत्पादित बायो खाद जैविक होगा और इसका उपयोग आस-पास के रेस्तरां और किसान जैविक खाद्य और सब्जियों का उत्पादन करने के लिए करेंगे.
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