(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
भारत से सेनाध्यक्ष और विदेश सचिव की नेपाल यात्राओं के मद्देनजर अब चीन भी अपने रक्षा मंत्री को भेज रहा काठमांडू
चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगही महज़ डेढ़ साल में दूसरी बार काठमांडू पहुंच रहे हैं. चीन की कोशिश नेपाल को अपने रणनीतिक पाले में रखने की होगी.
नई दिल्ली: नेपाल और भारत के बीच उच्च स्तरीय संपर्कों की कवायद के बीच चीन को अपने दबदबे का आसन डोलता नज़र आ रहा है. ऐसे में भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की 26-27 नवम्बर को हो रही यात्रा के बाद अपने रक्षा मंत्री वेई फेंगही को भी ताबड़तोड़ 29 नवम्बर काठमांडू भेजने का फैसला किया है.
चीन के रक्षा मंत्री का यह दौरा 4-6 नवम्बर को हुई सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और 21 अक्टूबर को रॉ प्रमुख सामंत गोयल की यात्रा के बाद जो रही है. राजनयिक सूत्रों के मुताबिक, भारत की तरफ से रक्षा और सुरक्षा तंत्र से जुड़े अहम अधिकारियों की यात्रा के बाद 29 नवम्बर को होने वाले चीनी रक्षा मंत्री के दौरे में बीजिंग की तरफ से क़ई लुभावने पैकेज और सैन्य समझौते पेश किए जा सकते हैं. इसके जरिए चीन की कोशिश नेपाल को अपने रणनीतिक पाले में रखने की होगी. वेई फेंगही महज़ डेढ़ साल में दूसरी बार काठमांडू पहुंच रहे हैं.
महत्वपूर्ण है कि बीते कुछ समय में चीनी प्रभाव ने काठमांडू में सत्ता दरबार की हवा का रुख भारत के खिलाफ मोड़ने की कोशिश की. इसके चलते नेपाल ने कालापानी, लिंप्याधुरा समेत कुछ इलकों को अपनी ज़मीन बताते हुए नया नक्शा जारी किया. इतना ही नहीं नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली समेत कई आला पदाधिकारियों की तरफ से तीखे भारत विरोधी बयान भी दिए गए. ज़ाहिर है मई 2020 में जारी नए नक्शे और तल्ख बयानों ने रिश्तों में कड़वाहट को ही बढ़ाया.
हालांकि, अपने उत्तर और दक्षिण के पड़ोसियों यानी चीन और भारत के बीच संतुलन साधने क़ई कवायद में नेपाल की केपी ओली सरकार ने दोनों तरफ से नाराजगी मोल ली. इस दौरान नेपाल में चीन की राजदूत लगातार यह दर्शाती रही कि सत्ता तंत्र में उनका कितना रसूख और असर है. यह बात और है कि इसको लेकर नेपाल में न केवल आलोचना के स्वर उठे बल्कि क़ई सीमावर्ती इलाकों में चीनी कब्जे क़ई खबरों के खिलाफ प्रदर्शन भी नज़र आए.
भारत के साथ रिश्ते संभालने की कवायद में ही बीते कुछ महीनों के दौरान पर्दे के पीछे चली कूटनीति में कुछ प्रयास हुए. इसमें 15 अगस्त 2020 को नेपाली पीएम की तरफ से भारत के प्रधानमंत्री को स्वाधीनता दिवस की बधाई देने वाला सन्देश भी शामिल है. रिश्तों की गाड़ी पटरी पर लाने की ऐसी कोशिशों के बाद ही भारत ने अपने विदेश सचिव श्रृंगला को भेजने का फैसला किया.
नेपाली राजनयिक सूत्रों के मुताबिक, भारतीय विदेश सचिव की ताजा काठमांडू यात्रा के दौरान सीमा विवाद, भारतीय मदद से चल रही विकास परियोजनाओं को जल्द पूरा करने और एमिनेंट पर्सन ग्रुप की तरफ से सरकार को दी गई रिपोर्ट पर बात होगी.
वहीं भारतीय विदेश मन्त्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक इस यात्रा के दौरान विदेश सचिव और उनके नेपाली समकक्ष के बीच सभी द्विपक्षीय मुद्दों और सहयोग सम्बन्धी मामलों पर बात होगी. सूत्रों के मुताबिक, भारत सीमा मामले पर नेपाल के साथ बने तंत्र के तहत लंबित मामलों को सुलझाने का आग्रह दोहराएगा. हालांकि, नेपाल सरकार की तरफ से जून में लागू किए गए नए नक्शे को जस का तस स्वीकार करने का सवाल नहीं है.
इस बीच माना जा रहा है कि भारत और नेपाल रिश्तों में नवम्बर 2019 बाद से आई तल्खी को कम करने और सम्बन्धों को साधने का कोई फॉर्मूला विदेश सचिव के दो दिनी दौरे में सम्भव है. भारत का विदेश सचिव बनने के बाद डॉ श्रृंगला की यह पहली नेपाल यात्रा है.
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