दिल्लीवालों को दम घोंटने वाले प्रदूषण से निजात दिलाने के लिये दिल्ली में प्रदूषण के रियल टाइम सोर्स को मैनेज करने की तैयारी दिल्ली सरकार कर रही है. दिल्ली सरकार किसी जगह पर वास्तविक समय में प्रदूषण के स्त्रोत का पता लगाने के लिए आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली और टेरी के साथ मिल कर काम करेगी.


मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास पर आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली और टेरी ने अपने द्वारा विकसित तकनीक को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने एक प्रजेंटेशन दिया. इस मीटिंग के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार इस तकनीक को दिल्ली में लागू करने के लिए आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली और टेरी के साथ मिल कर काम करेगी.


प्रोजेक्ट का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा


उन्होंने कहा कि अगर हमें वास्तविक समय के आधार पर प्रदूषण के स्रोत का पता चल जाएगा तो इससे हमें तत्काल कार्रवाई करने में मदद मिलेगी. अब इस प्रोजेक्ट का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा और कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस तकनीक पर काम शुरू कर दिया जाएगा. पायलट प्राजेक्ट के तहत दिल्ली के हॉटस्पॉट वाले इलाकों में सुपर साइट और मोबाइल साइट लगाए जाएंगे.


बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को इस तकनीक के प्रयोग की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिए हैं. प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मुकेश शर्मा के नेतृत्व में इस तकनीक पर काम शुरू किया जाएगा. सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने के साथ दिल्ली सरकार प्रदूषण के स्रोत का पता लगाने पर भी काम करना चाहती है, ताकि वास्तविक समय में दिल्ली की हवा में जो प्रदूषण है, उसके स्रोत का पता लगाया जा सके. साथ ही इस बात भी पता लगाया जा सके कि प्रदूषण में किन-किन चीजों का कितना योगदान है?


पायलट प्रोजेक्ट के तहत ट्रायल के लिए लगाई जाएंगी मशीने


दरअसल, आईआईटी कानुपर, आईआईटी दिल्ली और ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टेरी) ने किसी स्थान पर एक वास्तविक समय में हो रहे प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों का पता लगाने को लेकर कई रिसर्च के बाद एक तकनीक विकसित की है. इस तकनीक से पता लगाया जा सकता है कि एक वास्तविक समय में उस स्थान पर किस वजह से अधिक प्रदूषण हो रहा है. जिस स्थान पर प्रदूषण हो रहा है, वहां पर प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कौन-कौन से कारक हैं और उसमें वाहन, धूल और फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं आदि का कितना योगदान है? उस वास्तविक समय के दौरान हो रहे प्रदूषण के स्रोत का पता चलने के बाद दिल्ली सरकार उसे नियंत्रित करने को लेकर कार्रवाई कर सकेगी.


किसी स्थान पर एक वास्तविक समय में होने वाले प्रदूषण के स्रोत का पता लगाने के लिए एक सुपर साइट और मोबाइल साइट लगाई जाएंगी. दिल्ली के हॉटस्पॉट वाले एरिया में सुपर साइट और मोबाइल साइट लगाने पर विचार किया गया है. फिलहाल यह मशीनें पायलट प्रोजेक्ट के तहत ट्रायल के लिए लगाई जाएंगी और देखा जाएगा कि यह मशीनें किस तरह से प्रदूषण के स्रोत की जानकारी दे रही हैं. जिसके बाद दिल्ली सरकार कार्रवाई करेगी और फिर इसका आंकलन करेगी, ताकि पता चल सके कि उस स्रोत को कम करने के लिए उठाए गए कदमों का कितना असर पड़ा है.


प्रदूषण के स्रोत पर तुरंत की जाएगी कार्रवाई


उदाहरण के तौर पर अगर किसी इलाके में शाम 5 से 8 बजे तक वाहनों का प्रदूषण सबसे अधिक है तो सरकार उसके मुताबिक वहां पर वाहनों की आवाजाही कम करनी है या कोई और उपाय करने हैं, उन पर काम कर पाएगी, ताकि वाहनों का प्रदूषण कम किया जा सके. इसी तरह, किसी स्थान पर अगर धूल का प्रदूषण अधिक है, तो सरकार देखेगी कि उस एरिया में कहीं पर निर्माण कार्य तो नहीं चल रहा है ताकि उसे बंद कराया जा सके. अगर कहीं पर फैक्ट्री के धुंए से प्रदूषण होता पाया जाता है या किसी अन्य चीज से प्रदूषण होता है तो सरकार उसे कम करने की रणनीति बना पाएगी.


यानी जब प्रदूषण के स्रोत का पता चल जाएगा, तो सरकार उस पर फौरन कार्रवाई कर पाएगी. दिल्ली सरकार का दावा है दिल्ली देश का पहला शहर होगा जहां एक निश्चित समय में होने वाले प्रदूषण के सोर्स का पता लगाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा.


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