अब BHU में पढ़ाई जाएगी 'भूत विद्या', जनवरी से होगा कोर्स शुरू
अंधविश्वास को दूर करने के लिए बीएचयू में अष्टांग आयुर्वेद की आठ शाखाओं में से एक गृह चिकित्सा यानी भूत विद्या का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू होगा. अगले साल जनवरी से इसकी पढ़ाई शुरु होगी.
वाराणसी: बीएचयू अब छात्र छात्राओं को "भूत विद्या कोर्स" कराने की तैयारी में है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान आयुर्वेद संकाय के मेडिशनल केमिस्ट्री विभाग में अब भूतों की पढ़ाई करवाई जाएगी. भूतों की पढ़ाई के लिए जनवरी से एडमिशन शुरू होगा. हर साल में दो बैच में इसकी पढ़ाई होगी जिसमें दस दस के बैच में छात्र-छात्राएं पढ़ेंगे. इस कोर्स के लिए 50 हजार रुपये फीस रखी गई है. इसमें एडमिशन के लिए जिन छात्र-छात्राओं के पास मेडिकल ग्रैजुएट ऑफ एनी स्ट्रीम इंक्लूडिंग एमबीबीएस साथ में बीएससी नर्सिंग की डिग्री होगी उन्हीं छात्र छात्राओं को इस कोर्स के लिए एडमिशन दिया जाएगा.
क्या होती है भूत विद्या बीएचयू के आयुर्वेद संकाय प्रमुख प्रोफेसर यामिनी भूषण त्रिपाठी ने बताया कि भूत विज्ञान अष्टांग आयुर्वेद का एक पार्ट है. अष्टांग आयुर्वेद में आठ ब्रांचेस हैं जिसे महर्षि चरक ने अपनी किताब में लिखा. इन 8 पाठों में से 5 को हमारी रेगुलेटरी काउंसिल सेंट्रल काउंसिल आफ इंडियन मेडिसिन उसने 5 को पिकअप कर लिया और उसे 15 बना दिया. इसमें उसने एलोपैथी विभाग की नकल करके उसको 15 कर दिया, लेकिन जो मौलिक 8 विभाग थे उसमें से तीन विभागों को उसी तरह छोड़ दिया.
बनाई गईं तीन यूनिट
भूषण त्रिपाठी ने कहा, मैंने अपने कार्यभार ग्रहण करने के बाद इसको संज्ञान में लेकर इस पर काम किया. 2 सालों के प्रयास के बाद अब हमारी एकेडमिक काउंसिल ने तीन यूनिट बनाई हैं. यूनिट ऑफ भूत विज्ञान, यूनिट ऑफ रसायन विज्ञान, यूनिट ऑफ बोफाजी करण. भूत विज्ञान का मतलब है आयुर्वेद में रोग परीक्षण के लिए दसवीं परीक्षा एक प्रक्रिया, जिसके बाद वैद्य रोगी की पहचान करते हैं, लेकिन जब इसके अलावा कोई रोग हो तो उसे महर्षि चरक ने भूत विद्या में डाल दिया जाता है. यह वेद में है मणि, मंत्र और औषधि इन तीनों से चिकित्सा करने का प्रावधान है औषधि को चरक ने ले लिया लेकिन मणि और मंत्र रह गया अब यह जो भूत विद्या का विभाग बन रहा है इसमें हम लोग मणि और मंत्र को भी चिकित्सा करने में शामिल करेंगे. उसी की पढ़ाई के लिए यह शुरू किया जाएगा.
प्रोफेसर त्रिपाठी ने बताया कि साइंस ऑफ पैरानार्मल का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने वाला यह पहला संकाय हैं. संकाय में भूत विद्या की स्वतंत्र इकाई होगी. भूत विद्या पर शोध कर चुके प्रोफेसर वीके द्विवेदी के नेतृत्व में इसका सिलेबस तैयार किया गया है. जनवरी से इसकी पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी. नए कोर्स में भूत विद्या की अवधारणा और भूत विद्या उपचारात्मक पहलू नामक दो पेपर होंगे. भूत विद्या की अवधारणा में परिभाषा, अनेक अर्थ, ऐतिहासक महत्व, जनता में सामान्य समझ और आयुर्वेद में भूत विद्या की भूमिका के पाठ पढ़ाए जाएंगे. उपचारात्मक पहलू में चिकित्सा के प्रकार, ग्रह की प्रकृति, उपसर्ग की कायचिकित्सा पाठ होंगे.
'भूत विद्या कोर्स' यह कहने और सुनने में थोड़ा अटपटा लगे मगर यह काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के पाठ्यक्रम में शामिल होने जा रहा है. आयुर्वेद संकाय में भूत विद्या यानी साइंस ऑफ पैरानॉर्मल की पढ़ाई होगी. छह महीने का यह सर्टिफिकेट कोर्स नए साल के जनवरी महीने से शुरू होगा. दूरदराज के गांवों में आम तौर पर लोग सायकोसोमैटिक अर्थात मानसिक बीमारी को भूत प्रेत का असर मान लेते हैं. इस अंधविश्वास को दूर करने के लिए बीएचयू में अष्टांग आयुर्वेद की आठ शाखाओं में से एक गृह चिकित्सा यानी भूत विद्या का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू होगा. यहां से सर्टिफिकेट प्राप्त छात्र समाज में प्रैक्टिस कर आमजन के मन में भूत, ग्रह आदि के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने के साथ प्राचीन चिकित्सा पद्धति को विज्ञान से जोड़ते हुए ऐसे मरीजों का इलाज करेंगे.
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