नई दिल्लीः सोशल व डिजिटल मीडिया समेत ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर सरकार द्वारा जारी की गई गाइड लाइन को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है. कुछ संगठन इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंकुश बता रहे हैं लेकिन जांच एजेंसियों सहित कई साइबर एक्सपर्ट्स ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. हालांकि, इसका मूल मकसद फेक न्यूज़ पर लगाम कसने के साथ ही उन शरारती तत्वों की पहचान भी करना है जो मीडिया की आजादी की आड़ में देशविरोधी ताकतों की कठपुतली बने हुए हैं.


अभी एकदम से तो नहीं लेकिन तीन महीने बाद जब यह कानून बन जायेगा, तब भारत में सोशल मीडिया की तस्वीर पूरी तरह से बदल जायेगी. माना जा रहा है कि इस कानून में सजा के सख्त प्रावधान होंगे जिसके चलते इसे भी पारंपरिक मीडिया की तरह देश व समाज के प्रति जवाबदेह बनना होगा.


कई सोशल मीडिया एक्सपर्ट और कानून के जानकारों की नज़र में 24 घंटे के अंदर किसी आपत्तिजनक पोस्ट को हटाने वाला सरकार का फैसला सराहनीय और स्वागतयोग्य है. नई गाइडलाइन के बाद हम यूरोप और ब्रिटेन जैसे देशों के बराबरी में आकर खड़े हो गये हैं.साथ ही 72 घंटे में पुलिस और जांच एजेंसियों को क्राइम की पूरी जानकारी मिलने पर साइबर क्राइम को खत्म करने में काफी मदद मिलेगी.


लिहाज़ा नई गाइडलाइन पर गौर करें तो सरकार अपनी ओर से कुछ ज्यादा नहीं कर रही है, बल्कि पूरी जिम्मेदारी सोशल मीडिया और टेक कंपनियों को सौंप रही है. सरकार सिर्फ गाइड कर रही है ताकि फेक न्यूज, अफवाह और साइबर क्राइम पर लगाम लगाई जा सके. नई गाइडलाइन का फायदा यह होगा कि किसी क्राइम के मामले में जल्दी डीटेल मिलेगी और फिर तेजी से कार्रवाई भी होगी.


सरकार का कहना है कि उसे यूजर्स के मैसेज से मतलब नहीं है, बल्कि उस यूजर्स की जानकारी चाहिए जिसने सबसे पहले किसी आपत्तिजनक मैसेज को भेजा. सरकार ने यह भी साफ किया है कि भारत में इंटरनेट मौलिक अधिकार के दायरे में नहीं आता है. देश के कुछ इलाकों में फेक आईडी या दूसरे की आईडी और वर्चुअल नंबर के जरिए साइबर फ्रॉड को अंजाम दिया जा रहा है. कानून बन जाने के बाद ऐसे अपराधों पर भी लगाम कसेगी.


इसका सबसे अधिक फायदा यह होगा कि जब डाटा सेंटर भारत में होगा तो डाटा लेने में आसानी होगी और उस पर कार्रवाई भी जल्दी होगी. फिलहाल अधिकतर कंपनियों के डाटा सेंटर विदेश में हैं. ऐसे में कई बार डाटा लेने में ही महीनों का वक्त लग जाता है, क्योंकि कंपनियों के देश में उनके खुद के कानून हैं.


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