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अब पता चलेगा कि रामसेतु कुदरती है या मानव निर्मित, केंद्र सरकार ने रिसर्च को दी अनुमति

रामसेतु के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने एक रिसर्च को अनुमति दी है. इस रिसर्च को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियानोग्राफी के वैज्ञानिक करेंगे. इस रिसर्च में रामसेतु के अस्तित्व को किसी भी तरीके का नुकसान नहीं होगा.

नई दिल्ली: राम सेतु कब और कैसे बना. यह ऐसा सवाल है जिसको लेकर सालों से अलग-अलग मत सामने आते रहे हैं. लेकिन उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले कुछ सालों में अब इस सवाल का जवाब मिल सकता है क्योंकि इस सवाल का जवाब जानने के लिए सरकार ने एक रिसर्च को अनुमति दी है. जिसका मकसद यह पता लगा रहा होगा कि आखिर राम सेतु बना कैसे.

रामसेतु को लेकर जो रिसर्च की जानी है उसकी अनुमति केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने दी है. ये रिसर्च नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियानोग्राफी के वैज्ञानिक करेंगे. इस रिसर्च के जरिए रामसेतु से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश की जाएगी.

इस रिसर्च के जरिए उन सवालों का जवाब ढूंढने की भी कोशिश की जाएगी जो सालों से उठते रहे हैं. मसलन की रामसेतु मानव निर्मित है या कुदरती. रामसेतु का जो मौजूदा स्वरूप है वह क्या शुरुआत से ही ऐसा है या बदलते वक्त के साथ उस में कुछ बदलाव हुआ है. रामसेतु का अस्तित्व कितना पुराना है. क्या वाकई में रामसेतु उसी युग का है जिस युग में राम के पृथ्वी पर होने की बात कही गई है.

हालांकि सबके बीच सरकार की तरफ से ये जरूर साफ किया गया है कि जो भी रिसर्च का काम किया जाएगा उससे रामसेतु के अस्तित्व को किसी भी तरीके का नुकसान नहीं होगा. क्योंकि इस रिसर्च का मुख्य मकसद यह है कि रामसेतु के बारे में जो सवाल आज की तारीख में भी अनसुलझे हैं उनका जवाब ढूंढा जा सके.

रामायण में इस बात का ज़िक्र है कि भगवान राम जब लंका के राजा रावण की कैद से अपनी पत्नी सीता को बचाने के निकले तो रास्ते में समुद्र पड़ा. उस समुद्र को पार करने के लिए श्री राम ने वानर सेना की मदद से इस पुल का निर्माण किया था, वानरों ने छोटे-छोटे पत्थरों की मदद से इस पुल को तैयार किया था और इसी पुल को रामसेतु के नाम से जाना जाता है.

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