नई दिल्ली: सांसदों से कार्यकाल पूरा होने के बावजूद सरकारी मकान खाली करवाना संसदीय प्रशासन के लिए खासा बड़ा सिरदर्द है. देश में आम चुनावों के बाद 17वीं लोकसभा के गठन के बाद करीब 6 महीने हो चुके हैं. मगर अब भी पिछली लोकसभा के कई पूर्व सांसदों ने अपने सरकारी मकान खाली नहीं किए है. ऐसे में संसद की आवास समिति ने अब पंचनामा कर ताला तोड़ तीन सांसदों से सरकारी आवास खाली कराने का फैसला किया है.
सूत्रों के मुताबिक समिति की तरफ से पूर्व सांसदों को कई बार इस बारे में इत्तेला किया गया था. लेकिन बार-बार आग्रह किए जाने के बावजूद भी तीन सांसदों ने अभी तक अपना सरकारी आवास नहीं छोड़ा है. ऐसे में समिति ने संपदा विभाग को इस बाबत निर्देश दे दिए हैं कि वो तेलगु देशम पार्टी सांसद मुरली मोहन मंगती, मनोहर उंटवाल और गोविंद के. से मकान खाली करवाया जाए. तय प्रक्रिया के मुताबिक विभाग ताला तोड़ पंचनामा कर मकान को अपने कब्जे में ले लेगा. सूत्रों के मुताबिक तीनों ही सांसदों ने पिछली लोकसभा के दौरान मिले सरकारी मकानों पर ताला लगा छोड़ा है.
सूत्र बताते हैं कि टीडीपी सांसद मुरली मोहन मंगती के कब्जे में दिल्ली के बिशंभर दास मार्ग स्थित मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में एक फ्लैट है. वहीं 2014-19 तक बीजीपे से सांसद रहे मनोहर ऊंटवाल के पास भी एसएस फ्लैट का सरकारी आवास है. इसके अलावा पिछली लोकसभा में अन्ना द्रमुक से सांसद रहे के.गोपाल ने भी 209 नॉर्थ एवेन्यू का सरकारी मकान नहीं छोड़ा है. ऐसे में समिति को पंचनामे की कार्रवाही के लिए निर्देश देना पड़े.
समिति से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक आवास नियमों के मुताबिक 90 दिनों के भीतर सांसदों को अपना सरकारी आवास छोड़ना होता है. किन्ही कारणों से समय विस्तार की जरूरत होने पर समिति उस पर विचार कर सकती है. लेकिन किसी भी स्थिति में सांसद अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद सरकारी मकान पर ताला लगाकर कब्जा नहीं कर सकते. उक्त सांसदों ने बार बार सूचना दिए जाने के बाद भी जब आवास खाली नहीं किया तो अब ताला तोड़ने जैसा कदम उठाने का फैसला लिया गया है.
इस बीच सरकारी आवासों की कमी और कई मकानों के पुनर्निमाण के कारण मौजूदा लोकसभा के कई सांसद वेस्टर्न कोर्ट के कमरों में रहने को मजबूर हैं. हालांकि सूत्रों के मुताबिक आवास समिति ने लगभग सभी सांसदों को आवास आवंटित कर दिए हैं. मगर कई सांसद आवास इमारतों में निर्माण कार्य पूरा न हो पाने के कारण सांसदों को फिलहाल अस्थाई व्यवस्थाओं से काम चलाना पड़ रहा है. इस स्थिति के मार्च 2020 तक हल कर लिए जाने की उम्मीद है.
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