Monkeypox Case in Delhi: देश राजधानी में 5वां मंकीपॉक्स (Monkeypox) केस का पता चला है. एलएनजेपी (LNJP) के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश कुमार (Dr Suresh Kumar) ने बताया कि दिल्ली में मंकीपॉक्स का 5वां मामला सामने आया है. इसके साथ ही देश में कुल मामलों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है. डॉक्टर कुमार ने कहा, 'इस बार 22 साल की महिला का सैंपल 12 अगस्त को पॉजिटिव आया है. संक्रमित मरीज (Patients) अस्पताल (Hospital) में निगरानी में है. यहां उसका इलाज चल रहा है'. वहीं देश की राजधानी दिल्ली में अब मंक्सीपॉक्स (Monkeypox Case) के कुल 5 एक्टिव केस हो गए हैं.
डॉ. कुमार ने एएनआई को बताया, 'एक मरीज को एलएनजेपी में भर्ती कराया गया है और उसका सैंपल पॉजीटिव आया है. 4 मरीज पहले से ही मंक्सीपॉक्स के भर्ती हैं और एक को छुट्टी दे दी गई है. दिल्ली में मंकीपॉक्स के कुल 5 मामले सामने आए हैं. वह कल (12 अगस्त) पॉजिटिव आई थी. डॉक्टरों की टीम उसका इलाज कर रही है'.
उन्होंने यह भी जिक्र किया कि मरीज का हाल ही में कोई ट्रेवल करने का इतिहास नहीं है, लेकिन एक महीने पहले यात्रा की थी.
दिल्ली-केरल में मंकीपॉक्स के बढ़े केस
इधर, भारत में मंकीपॉक्स के कुल मामले अब तक 10 हो गए है. केरल में मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 5 है. यहां मंकीपॉक्स से एक शख्स की मौत भी हो चुकी है. वहीं, दिल्ली में भी अब इस बीमारी से संक्रमित होने वालों की संख्या 5 हो गई. दरअसल, केरल में ही देश का पहला मंकीपॉक्स से संक्रमित मरीज मिला था. यहीं से तीसरा केस भी सामने आया था.
दिल्ली में 24 जुलाई को आया मंकीपॉक्स का पहला केस
दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के एक दिन बाद दिल्ली में इस साल 24 जुलाई को मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि हुई थी. केंद्र सरकार ने भारत में फैले वायरस की जांच के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिसमें देश के प्रवेश बिंदुओं पर भी शामिल थे. जैसे- अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को बीमार व्यक्तियों, मृत या जीवित जंगली जानवरों और अन्य लोगों के निकट संपर्क से बचने की सलाह दी गई है.
जानिए मंक्सीपॉक्स संक्रमण के लक्षण
बता दें कि भारत में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का पहला मामला (Patients) केरल के कोल्लम जिले में 14 जुलाई को सामने आया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मंकीपॉक्स एक वायरस ज़ूनोसिस (जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला वायरस) है, जिसमें चेचक के रोगियों में अतीत में देखे गए लक्षणों के समान लक्षण होते हैं, हालांकि यह चिकित्सकीय (Clinically) रूप से कम गंभीर है.
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