Shiv Sena vs Eknath Shinde: एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट के अलग होने के बाद शिवसेना पर किसका हक है इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई पूरी हो गई है. शिवसेना के विवाद पर कल अब एक बार फिर कोर्ट इस मामले को सुनेगा. कोर्ट ने शिंदे पक्ष के वकील हरीश साल्वे को कहा है कि आप एक बार फिर अपनी दलीलों का एक ड्राफ्ट तैयार कीजिए और सुबह कोर्ट में पेश कीजिए. आइये जानते हैं आज की सुनवाई में किसने क्या कहा.


शिंदे सरकार के गठन से जुड़े सभी मामलों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सुनवाई कर रहा है. इस दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या सभी पक्षों ने मामले से जुड़े कानूनी सवालों का संकलन जमा करवा दिया है. इसके जवाब में राज्यपाल के वकील सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता (Advocate Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि मैं अभी जमा करवा रहा हूँ


उद्धव कैंप के वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा कि अगर 2 तिहाई विधायक अलग होना चाहते हैं तो उन्हें किसी के साथ विलय करना होगा या नई पार्टी बनानी होगी. वह यह नहीं कह सकते कि वहीं मूल पार्टी हैं. CJI ने सिब्बल के सवाल के जवाब में कहा कि  मतलब आप यह कह रहे हैं कि उन्हें BJP में विलय कर लेना चाहिए था या अलग पार्टी बनानी चाहिए थी. सिब्बल ने कहा कि कानूनन तो शिंदे गुट को यही करना चाहिए था. 


सिब्बल ने कहा कि पार्टी सिर्फ विधायकों का समूह नहीं होता है. इन लोगों को पार्टी की बैठक में बुलाया गया. वह नहीं आए. डिप्टी स्पीकर को चिट्ठी लिख दी. अपना व्हिप नियुक्त कर दिया. असल में इन लोगों ने पार्टी छोड़ी है. वह मूल पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते. आज भी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे हैं. उन्होंने आगे कहा कि जब संविधान में 10वीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी प्रावधान) को जोड़ा गया, तो उसका कुछ उद्देश्य था. अगर इस तरह के दुरुपयोग को अनुमति दी गई तो विधायकों का बहुमत सरकार को गिरा कर गलत तरीके से सत्ता पाता रहेगा और पार्टी पर भी दावा करेगा. 


उद्धव कैंप के दूसरे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इन लोगों को किसी पार्टी में विलय करना चाहिए था, पर ऐसा नहीं किया. वह जानते हैं कि वह असली पार्टी नहीं हैं. सिंघवी ने कहा कि वह अपनी गलती पर पर्दा ढंकने के लिए चुनाव आयोग से मान्यता पाने की कोशिश कर रहे हैं.


शिंदे गुट के वकील हरीश साल्वे ने क्या कहा


वहीं शिंदे गुट के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि जिस नेता को बहुमत का समर्थन न हो. वह कैसे बना रह सकता है? शिवसेना के अंदर ही कई बदलाव हो चुके हैं. सिब्बल ने जो बातें कही हैं, वह प्रासंगिक नहीं हैं. किसने इन विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया. जब पार्टी में अंदरूनी बंटवारा हो चुका हो तो दूसरे गुट की बैठक में न जाना अयोग्यता कैसे हो गया?


CJI ने कहा कि इस तरह से तो पार्टी का कोई मतलब नहीं रह जाएगा. विधायक चुने जाने के बाद कोई कुछ भी कर सकेगा. इसके जवाब में साल्वे ने कहा कि हमारे यहां एक भ्रम है कि किसी नेता को ही पूरी पार्टी मान लिया जाता है. हम अभी भी पार्टी में हैं. हमने पार्टी नहीं छोड़ी है. हमने नेता के खिलाफ आवाज़ उठाई है. किसी ने शिवसेना नहीं छोड़ी है. बस पार्टी में 2 गुट हैं.  क्या 1969 में कांग्रेस में भी ऐसा नहीं हुआ था? कई बार ऐसा हो चुका है. चुनाव आयोग तय करता है. इसे विधायकों की अयोग्यता से जोड़ना सही नहीं. वैसे भी किसी ने उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया. शिंदे गुट की तरफ से दलीले रखी जा रही है कि अयोग्यता का सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट की भी नौबत नहीं आई. 


20 जुलाई को हुई थी सुनवाई


इससे पहले इस मामले की सुनवाई 20 जुलाई को हुई थी. इस मामले की सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया जा सकता है. उस दिन कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा था कि वह आपस में बात कर सुनवाई के बिंदुओं का एक संकलन जमा करवाएं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दोनों गुटों के नेताओं की कई याचिकाएं लंबित हैं और इन याचिकाओं में विधायकों की अयोग्यता, राज्यपाल की तरफ से शिंदे गुट को आमंत्रण देने, विश्वास मत में शिवसेना के दो व्हिप जारी होने जैसे कई मसलों को उठाया गया है.


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