Political Row Over Tipu Sultan: मुंबई में एक बार फिर टीपू सुल्तान के नाम पर राजनीति छिड़ गई है. 26 जनवरी को टीपू सुल्तान मैदान का उद्घाटन मुंबई के मलाड में कांग्रेस नेता और मुंबई के संरक्षक मंत्री असलम शेख द्वारा अपने चुनाव क्षेत्र में किया जाना है. इसको लेकर भाजपा समेत विश्व हिंदू परिषद ने आपत्ति जताते हुए विरोध किया है.
विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता श्रीराज नायर ने ट्वीट किया कि यह निश्चित रूप से हमारी मुंबई की शांति को बर्बाद करने के इरादे से किया गया है और इससे बचा जा सकता था. महाराष्ट्र एक संत भूमि है और एक क्रूर बर्बर हिंदू विरोधी के नाम पर एक परियोजना का नामकरण करना बेहद निंदनीय है.
गौरतलब है कि इससे पहले भी महाराष्ट्र में टीपू सुल्तान के नाम पर शिवसेना और बीजेपी पिछले साल एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारपो लगा रहे थे. दरअसल पिछले वर्ष ही महाराष्ट्र की सियासत में मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान की एंट्री हो गई थी. मुंबई के गोवंडी में एक उद्यान को टीपू सुल्तान का नाम देने को लेकर विवाद हुआ था.
वहीं भाजपा को इस टीपू सुल्तान नाम के नाम पर शिवसेना पर निशाना साधने का मौका मिल गया है. भाजपा के प्रवक्ता राम कदम का कहना है कि 24 घंटे पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिवसेना के हिंदुत्व की बात कर रहे थे और अब उनके मुख्यमंत्री रहते मैदान का नाम टीपू सुल्तान के नाम पर रखा जा रहा है. ठाकरे सरकार के अगुवाई में उनके मंत्री टीपू सुल्तान नाम के मैदान का उद्घाटन करेंगे. अब तो हिंदुओं पर जुल्म करने वाले सारे आक्रांता कब्र से उठकर शिवसेना की जयकारा करेंगे.
मुंबई की मेयर ने बीजेपी पर दोहरे चरित्र का लगाया था आरोप
मुंबई की मेयर किशोरी पेडणेकर ने गोवंडी में एक पार्क का नाम टीपू सुल्तान के नाम पर रखने का बीजेपी पर आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि बीजेपी ने 2013 में गोवंडी में एक पार्क का नाम टीपू सुल्तान के नाम पर रखा था और अब वह इस दिशा में दोहरा चरित्र अपना रही है.
इसमें उन्होंने बीजेपी विधायक अमित साटम के नाम का भी जिक्र किया था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विधायक ने मेयर के खिलाफ 50 करोड़ रुपये की मानहानि का केस करने की बात कही थी. टीपू सुल्तान को शेर-ए-मैसूर का खिताब हासिल है. वह भारतीय इतिहास के चर्चित योद्धा हैदर अली के पुत्र थे. पिता की मृत्यु के बाद टीपू सुल्तान ने मैसूर की कमान अपने हाथों में संभाली थी.
टीपू सुल्तान ने 18 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ जीता था अपना पहला युद्ध
टीपू सुल्तान ने महज 18 वर्ष की उम्र में अंग्रेजो के खिलाफ अपना पहला युद्ध जीता था. दोनों पक्षों में इस युद्ध के बाद 1784 में मंगलौर की संधि हुई थी. लेकिन उसके पांच साल बाद ही अंग्रेजों और मराठाओं की संयुक्त सेना ने फिर से टीपू सुल्तान पर हमला कर दिया था.
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