नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आधार को अनिवार्य करने की सीमा 31 दिसंबर से बढाकर 31 मार्च कर दी है. सरकार की तरफ से एटॉर्नी जनरल ने आश्वासन दिया कि फिलहाल आधार नंबर न देने वाले लोगों को किसी भी लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा.


आपको बता दें कि आधार कार्ड की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि लोगों पर बैंक खाते के अलावा सरकारी योजनाओं के लिए आधार नंबर देने का दबाव बनाया जा रहा है.


याचिकाकर्ताओं ने निजता के अधिकार पर फैसला आ जाने का हवाला देते हुए पूरे मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की है. याचिकाकर्ताओं ने ये भी कहा कि लोगों पर बैंक खाते के अलावा सरकारी योजनाओं के लिए आधार नंबर देने का दबाव बनाया जा रहा है. सोमवार को कोर्ट एक बार फिर इस मामले पर सुनवाई करेगा.


क्या है पूरा मामला?

यूनिक आइडेंटफिकेशन नंबर या आधार कार्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. इन याचिकाओं में सबसे अहम दलील है आधार से निजता के अधिकार के हनन की. याचिकाकर्ताओं ने आधार के लिए बायोमेट्रिक जानकारी लेने को निजता का हनन बताया है.

हालांकि इसी साल 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद आधार कार्ड को अनिवार्य करने को लेकर केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा था. क्यों कि सरकार की दलील थी कि अगर आधार कार्ड को मौलिक अधिकार मान लिया जाए तो व्यवस्था चलाना मुश्किल हो जाएगा. कोई भी निजता का हवाला देकर ज़रूरी सरकारी काम के लिए फिंगर प्रिंट, फोटो या कोई जानकारी देने से मना कर देगा.