नई दिल्ली: कोरोना वायरस से फैली महामारी को देखते हुए अप्रैल-सितंबर 2020 से शुरू होने वाली जनगणना, हाउस लिस्टिंग और एनपीआर प्रक्रिया को टाल दिया गया है. दोबारा इसे शुरू करने से पहले इसे लेकर एक ऑडिट किया जाएगा कि क्या जून के बाद सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस प्रक्रिया के पहले चरण को शुरू किया जा सकता है या नहीं. अगर ऐसा होना संभव नहीं होता है तो इसे अगले साल अप्रैल तक के लिए रीशेड्यूल कर दिया जाएगा.
टीओआई के मुताबिक, 2021 जनगणना दो चरणों में होनी है. पहले चरण में अप्रैल-सितंबर के बीच राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के साथ हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग को क्रियान्वित किया जाएगा. इसके बाद 9 फरवरी-28 फरवरी, 2021 के बीच जनसंख्या गणना की जाएगी.
भारत के दो पूर्व रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्तों सहित कुछ विशेषज्ञ- एआर नंदा और जेके बंथिया ने क्रमशः 1991 और 2001 की जनगणना का निरीक्षण किया, और कहा कि पुनर्मूल्यांकन अपरिहार्य हो सकता है.
एक विकल्प के तौर पर इसे पर भी विचार किया जा रहा है कि जनगणना को एक मार्च 2021 के बजाय एक मार्च 2022 से माना जाए और घरों व अन्य गणनाएं भी अगले वर्ष अप्रैल से सितंबर के बीच शुरू की जाएं.
बंथिया ने कहा कि इसके पीछे एक कारण है कि भारत हर 10 साल बाद फरवरी में जनसंख्या गणना करता है। इसमें कृषि मौसम, जलवायु कारक, त्योहारों, प्रगणकों की उपलब्धता और अन्य कारकों को ध्यान में रखा जाता है.
एक अधिकारी ने कहा कि मार्च से अब तक कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं ऐसे में जनगणना की तारीखों को रीशेड्यूल करना जरूरी है.
एनपीआर क्या है?
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का उद्देश्य देश में रहने वाले प्रत्येक शख्स की पहचान का डेटाबेस तैयार करना है. साल 2010 में पहली बार एनपीआर बनाने की शुरुआत हुई थी. एनपीआर में मांग जाने वाले दस्तावेजों को लेकर बीते दिनों में देशभर में खूब चर्चा हुई. हालांकि, गृहमंत्री अमित शाह ये साफ कर चुके है कि एनपीआर में कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे. संसद में वे इस बात को कह चुके हैं कि जिन लोगों के पास जो जानकारी नहीं है उसे देने की जरूरत नहीं है.
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