नीतीश के बाद अब जगनमोहन रेड्डी ने कहा- 2010 वाले फॉर्मेट पर हो NPR, विधानसभा में प्रस्ताव लाने का किया एलान
आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी ने कहा कि इसके लिए वो आगामी विधानसभा में एक प्रस्ताव लेकर आएंगे. बता दें कि बिहार विधानसभा से पहले ही एनपीआर में संशोधन का प्रस्ताव पास किया जा चुका है.
नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने 2010 के फॉर्मेट पर एनपीआर लागू किए जाने की वकालत की है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर आगामी विधानसभा सत्र में प्रस्ताव लाया जाएगा. उन्होंने कहा कि एनपीआर में कुछ ऐसे सवाल है जिसको लेकर राज्य के अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा का भाव पैदा हो रहा है.
जगन मोहन रेड्डी ने ट्वीट किया, ''एनपीआर में प्रस्तावित कुछ प्रश्न मेरे राज्य के अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा का कारण बन रहे हैं. हमारी पार्टी के भीतर विस्तृत विचार-विमर्श के बाद, हमने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह 2010 वाले फॉर्मेट को वापस लाएं.'' इसके साथ ही उन्होंने एलान किया, ''इस आशय के लिए हम आगामी विधानसभा सत्र में एक प्रस्ताव भी प्रस्तुत करेंगे.''
Some of the questions proposed in the NPR are causing insecurities in the minds of minorities of my state. After elaborate consultations within our party, we have decided to request the Central Government to revert the conditions to those prevailing in 2010. (1/2)
— YS Jagan Mohan Reddy (@ysjagan) March 3, 2020
बता दें कि बिहार विधानसभा से ये प्रस्ताव पारित किया जा चुका है कि एनपीआर में संशोधन हो. यानी उसे 2010 के फॉर्मेट पर लागू किया जाए. अब आंध्र प्रदेश के सीएम ने इसको लेकर प्रस्ताव लाने की बात कही है. वहीं महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक भी कह चुके हैं कि अमित शाह जैसा चाहते हैं उस फॉर्मेट में एनपीआर महाराष्ट्र में लागू नहीं होगा.
राज्यों से विचार-विमर्श कर रही है सरकार- नित्यानंद राय
उधर आज सरकार ने कहा कि वह उन राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर रही है जिन्हें राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने के संबंध में आशंकाए हैं. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में पी सी गद्दीगौदर के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, ‘‘सरकार उन राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श कर रही है, जिन्हें राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने के संबंध में आशंकाए हैं. एनपीआर फाउंडेशन की प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के जनसांख्यिकीय आंकड़े और अन्य विवरण अद्यतन य एकत्रित किये जा रहे हैं.’’ उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में कोई दस्तावेज एकत्र नहीं किया जाना है.
नित्यानंद राय ने अब्दुल खलीक के एनआरसी के संबंध में एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि यदि असम में कोई व्यक्ति अंतिम एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) में अपने नाम को शामिल किये जाने से संबंधित दावों और आपत्तियों के निर्णय के परिणाम से संतुष्ट नहीं है तो वह विदेशी व्यक्ति (अधिकरण) आदेश, 1964 के तहत गठित नामित अधिकरण के समक्ष ऐसे आदेश की तारीख से 120 दिन की अवधि के भीतर अपील कर सकता है.
असम से कांग्रेस सदस्य खलीक ने यह भी पूछा था कि क्या विदेश मंत्री ने असम के अंतिम रूप से तैयार एनआरसी को मंत्रालय के किसी ट्विटर हैंडल के माध्यम से ऐतिहासिक, संवैधानिक और वैज्ञानिक दस्तावेज करार दिया है जिस पर मंत्री ने ‘नहीं’ में जवाब दिया.