नई दिल्ली: असम नेशनल नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) ड्राफ्ट पर सत्तापक्ष और विपक्ष में संग्राम जारी है. नई दिल्ली में राज्यसभा की कार्यवाही ठप है तो वहीं कोलकाता और असम में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच जुबानी जंग हो रही. कल ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के छह सांसदों और और दो विधायकों को असम के सिलचर एयरपोर्ट पर कथित तौर पर हिरासत में ले लिया गया. जिसके बाद सांसद एयरपोर्ट पर ही धरना देने लगे. पार्टी ने कहा कि यह लोग एनआरसी के अंतिम मसौदे के जारी होने के बाद असम में स्थिति का जायजा लेने वहां जा रहे थे.


आज काछाड़ के जिला उपायुक्त ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस के छह नेता सिलचर हवाईअड्डे पर रातभर रोके जाने के बाद असम से रवाना हो गए, दो अन्य आज दिन में रवाना होंगे. एनआरसी को लेकर जारी विवाद के बीच काछाड़ में धारा 144 लागू है. टीएमसी के नेता अलग-अलग समूह बनाकर जिले का दौरा करने वाले थे. जिसे जिला प्रशासन ने खारिज कर दिया.


सांसदों को हिरासत में लिए जाने के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस ने आज लोकसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है. सांसदों ने आरोप लगाया है कि उनके साथ सुरक्षाकर्मियों ने बदसलूकी की. टीएमसी विधायक महुआ मोइत्रा ने सुरक्षाकर्मियों पर धक्का देने का आरोप लगाया. वहीं एक महिला पुलिसकर्मी को भी चोटें आई.





बाद में कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी एयरपोर्ट पर पहुंचे और स्थिति संभालने की कोशिश की. न्यूज़ एजेंसी एएनआई की ओर से जारी एक फोटो में जिलाधिकारी टीएमसी सांसदों के सामने हाथ जोड़े खड़े हैं. वहीं टीएमसी सांसद सुखेंदू शेखर राय अधिकारी से कुछ कह रहे हैं.





एयरपोर्ट पर सांसदों को रोके जाने पर ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि बीजेपी देश में ‘सुपर आपातकाल’ लगा रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी इस घटना से बेनकाब हो गयी है और उन्होंने जानना चाहा कि किस कानून के तहत तृणमूल प्रतिनिधिमंडल को रोका गया. यह मुद्दा लोकसभा में भी उठा. सौगत राय के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस सदस्यों ने पार्टी के कुछ सांसदों को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ प्रदर्शन किया और सदन में सरकार से एक जवाब मांगा.


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दिल्ली से कोलकाता लौटने पर ममता ने संवाददाताओं से कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि एनआरसी के मुद्दे पर किसी को नहीं सताया जाएगा. लेकिन तृणमूल प्रतिनिधिमंडल को सिलचर हवाईअड्डा नहीं जाने दिया गया. उनसे हाथापाई की गई. यहां तक कि महिला सदस्यों को भी नहीं बख्शा गया.


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असम सरकार ने 30 जुलाई को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) मसौदे को प्रकाशित किया था जिसमें 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल हैं जबकि कुछ कमियों के चलते मसौदे से 40 लाख लोगों को बाहर रखा गया. कई नेताओं ने इन्हें बांग्लादेशी घुसपैठी करार दिया है.पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी असम एनआरसी सूची की मुखर विरोधी रही है.