नई दिल्ली: असम में एनआरसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट सामने आने के बाद अब इसको लेकर जमकर राजनीति भी हो रही है. आज भी इसको लेकर संसद के दोनों सदनों में बहस हुई.


आज सुबह जैसे ही राज्यसभा की कार्रवाई शुरू हुई विपक्षी नेताओं ने एनआरसी के मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू किया. इसके बाद हंगामा हुआ और राज्यसभा 1 घंटे के लिए स्थगित कर दी गई. इसके बाद एक बार फिर राज्यसभा की कार्यवाही 12 बजे शुरू हुई हालांकि वक्त प्रश्नकाल का था लेकिन विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा के उपसभापति से मांग की कि प्रश्नकाल को स्थगित कर एनआरसी के मुद्दे पर चर्चा की जाए. इसे उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के उपसभापति वेंकैया नायडू ने मान लिया.


इसके बाद एनआरसी के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा शुरू हुई विपक्ष के नेताओं ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि मोदी सरकार एनआरसी के मुद्दे पर राजनीति कर रही है. साथ ही एनआरसी की जो ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की गई है उसमें कई सारी खामियां हैं. विपक्षी नेताओं ने सदन में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि भले ही अभी आंकड़ा 40 लाख के आसपास दिख रहा हो लेकिन इससे प्रभावित एक करोड़ से ज्यादा लोग होंगे. उनका कहना था कि ड्राफ्ट में छूटे 40 लाख लोगों के साथ ही उनके परिवार के लोग भी शामिल है ऐसे में आंकड़ा डेढ़ करोड़ से ज्यादा भी जा सकता है.


इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा में बयान देते हुए कहा कि प्रदेश में घुसपैठियों की पहचान करना जरूरी था. लेकिन हमारी सरकार आने से पहले किसी में हिम्‍मत नहीं थी कि घुसपैठियों की पहचान कर सके. हमने कार्रवाई की क्योंकि हम में दम है. अमित शाह ने कहा कि इस मुद्दे को उठाकर क्‍या विपक्ष बांग्‍लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाहता है ?


अमित शाह के इस बयान के बाद सदन में जमकर हंगामा शुरू हो गया और सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई. हालांकि, सदन के बाहर कांग्रेसी नेताओं ने अमित शाह पर हमला बोलते हुए कहा कि अमित शाह को इतिहास के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, क्योंकि एनआरसी की शुरुआत तो यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान ही हुई थी. मोदी सरकार के दौरान अगर कुछ हुआ है तो वह है एनआरसी के ड्राफ्ट में सामने आ रही गड़बड़ी.