दिसपुर: असम के एनआरसी विवाद के बीच असम के राज्यपाल जगदीश मुखी ने बड़ा बयान दिया है. राज्यपाल मुखी ने नागरिक रजिस्टर बनाने को ऐतिहासिक कदम बताया है. उन्होंने कहा है कि पूरे देश में एनआरसी लागू करना चाहिए और हर दस साल में इस अपडेट भी किया जाना चाहिए. मुखी ने कहा कि जो काम असम में चार सालों में हुआ है वह बाकी राज्यों में जल्दी हो जाएगा. बता दें कि आज इस मामले पर राज्यसभा में भी हंगामा हो रहा है.
एनआरसी देश के लिए एक एतिहासिक उपलब्धि- राज्यपाल मुखी
एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में राज्यपाल जगदीश मुखी ने कहा, ‘’एनआरसी की जो ड्राफ्ट रिपोर्ट आई है ये असम के लिए और देश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. अभी ये एक प्रारूप है और इसपर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. जो प्रदेश के अंदर ऐसी भ्रांति चल रही थी कि जिसका नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं आया वो विदेशी हो गया. वो कोई विदेशी नहीं है. अभी ये ड्राफ्ट है. इस ड्राफ्ट में जिस व्यक्ति का नाम छूट गया है उन्हें शिकायत दर्ज कराने का पूरा अधिकार है. प्रदेश में किसी के लिए भी चिंता वाली कोई बात नहीं है.’’
हर राज्य अपने राज्य की एनआरसी तैयार करे- राज्यपाल मुखी
राज्यपाल ने आगे कहा, ‘’भारत सरकार और असम सरकार ये सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी भारतीय ऐसा नहीं बचेगा जिसका नाम एनआरसी रिपोर्ट में न आए.’’ उन्होंने कहा, ‘’ये ड्राफ्ट देश की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. जिस प्रकास से असम ने अपनी एनआरसी तैयार की है. देश के लिए ये बहतर होगा कि हर राज्य अपने राज्य की एनआरसी तैयार कराए. ताकि देश की सरकार को और राज्य की सरकार को ये जानकारी रहे कि मेरे राज्य के अंदर कौन विदेशी है.’’
राज्यपाल जगदीश मुखी ने कहा है, ‘’एनआरसी तैयार करने के साथ-साथ राज्य जनगणना के आधार पर हर दस साल में एनआरसी अपडेट करे. ऐसा करने से देश की सुरक्षा को बड़ा लाभ मिलेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘’जो काम असम में चार सालों में हुआ है वह बाकी राज्यों में जल्दी हो जाएगा. एनआरसी के लिए हमें आधार कार्ड की मदद लेनी चाहिए.’’
क्या कहता है एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट?
असम में सोमवार को नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन की दूसरी ड्राफ्ट लिस्ट का प्रकाशन कर दिया गया. जिसके मुताबिक कुल तीन करोड़ 29 लाख आवेदन में से दो करोड़ नवासी लाख लोगों को नागरिकता के योग्य पाया गया है, वहीं करीब चालीस लाख लोगों के नाम इससे बाहर रखे गए हैं. NRC का पहला मसौदा 1 जनवरी को जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे. दूसरे ड्राफ्ट में पहली लिस्ट से भी काफी नाम हटाए गए हैं.
नए ड्राफ्ट में असम में बसे सभी भारतीय नागरिकों के नाम पते और फोटो हैं. इस ड्राफ्ट से असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को बारे में जानकारी मिल सकेगी. असम के असली नागरिकों की पहचान के लिए 24 मार्च 1971 की समय सीमा मानी गई है यानी इससे पहले से रहने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है.
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