नई दिल्ली: देश में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़ंस (एनआरसी) का मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है. आज राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि धर्म की परवाह किए बिना पूरे भारत में एनआरसी हर व्यक्ति को कवर करेगा. उन्होंने सदन को बताया कि देश के किसी भी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. अमित शाह ने साफ किया कि एनआरसी और सिटीजनशिप अमेडमेंट बिल अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं.


दरअसल एनआरसी पर अमित शाह के एक बयान पर राज्यसभा में कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने अमित शाह से मुस्लिमों का नाम ना लेने का सवाल पूछा था. इसपर अमित शाह ने कहा, ‘’ लोगों को एनआरसी और सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल को लेकर कंफ्यूजन है. एनआरसी के अंदर सभी धर्मों के लोगों को लिया जाएगा, जो भारत के नागरिक हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘’इसमें धर्म के आधार पर भेदभाव करने का कोई सवाल ही नहीं उठता.’’


अमित शाह ने आगे कहा, ‘’सरकार मानती है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर भेदभाव का शिकार होने वाले हिंदू, बुद्ध, सिख, जैन, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलनी चाहिए. इसके लिए सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल अलग से है ताकि इन शरणार्थियों को नागरिकता मिल सके.’’


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वहीं, एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन ने कहा कि हमारे देश के संविधान में सभी धर्मों को समान अधिकार है और जब समान अधिकार है तो फिर मुस्लिमों का नाम नहीं लेना क्या सही है? अमित शाह चुनाव प्रचार के दौरान सभी धर्मों का नाम लेते हैं लेकिन मुस्लिमों का नहीं. इस तरह से तो ये एक भेदभाव है और यही मैंने सवाल उठाया था.


प्रश्नकाल के दौरान राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने भी कहा कि हमारे देश के सभी नागरिक समान है. यहां पर किसी भी तरह से भेदभाव नहीं हो सकता.


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