नई दिल्ली: राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण रजिस्टर यानी एनआरसी के मुद्दे पर पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है. बीजेपी विरोधियों पर घुसपैठियों का साथ देने का आरोप लगा रही है वहीं विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी वोटबैंक के लिए ये सब कुछ कर रही है. अब इस मामले पर बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर ने बड़ा बयान दिया है. ओम माथुर ने कहा कि 2019 में सत्ता में आने के बाद एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जायेगा. उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में देश को धर्मशाला नहीं बनने देंगे.


राजस्थान के झुंझनू में मीडिया से बात करते हुए ओम माथुर ने कहा, ''कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने परिवार के प्रति भी वफादार नहीं है क्योंकि एनआरसी की शुरूआत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ही की थी लेकिन कांग्रेस दस साल के कार्यकाल में एनआरसी को लागू करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी.''


उन्होंने कहा, ''घुसपैठियों की समस्या पूरा देश भुगत रहा है, ऐसा कोई बड़ा शहर और कस्बा नहीं है जहां बांग्लादेशी घुसपैठिए नहीं हैं. एनआरसी को अभी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सिर्फ असम में लागू किया गया है लेकिन 2019 में चुनाव के बाद इसे पूरे देश में लागू किया जायेगा.''


2019 में NRC बड़ा मुद्दा: शाह
रविवार को उत्तर प्रदेश के मेरठ में बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि 2019 में नागरिकता बड़ा मुद्दा रहेगा लेकिन सरकार हिंदू शरणार्थियों को नहीं सताएगी. एनआरसी पर बोलते हुए अमित शाह ने साफ कर दिया कि ये 2019 आम चुनाव में बीजेपी के अहम मुद्दों में से एक होगा. अमित शाह ने ये भी बताया कि सरकारी योजनाओं के बारे में लोगों तक जानकारी पहुंचाई जाएगी और एक बार फिर मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ा जाएगा.


प्रधानमंत्री ने एनआरसी पर क्या कहा?
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने वोट बैंक पॉलिटिक्स के चलते एनआरसी को लागू करने में रुचि नहीं दिखाई लेकिन हमारी सरकार ने एनआरसी लागू करने में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक काम किया है.


उन्होंन कहा कि फिलहाल ड्राफ्ट लिस्ट जारी हुई है और लोगों को दूसरा मौका भी दिया जा रहा है तो विपक्ष को इसको लेकर भ्रम फैलाना बंद करना चाहिए. किसी भी भारतीय नागरिक को देश नहीं छोड़ना पड़ेगा. उन्होंने भरोसा दिलाया कि जिन लोगों का नाम लिस्ट में नहीं है उन्हें उनकी नागरिकता साबित करने का पूरा मौका दिया जाएगा.


क्या है एनआरसी?
सरकार ने असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) अभियान चलाया है. असम में करीब 50 लाख बांग्लादेशी गैरकानूनी तरीके से रह रहे हैं. इनके कारण असम में कई सामजिक-आर्थिक समस्याएं बनी हुई हैं जिन्हें दूर करने के लिए ये एनआरसी का अभियान चलाया जा रहा है.


31 जुलाई को असम में नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन की दूसरा और फाइनल ड्राफ्ट जारी किया गया. इसके मुताबिक कुल 3.29 करोड़ में से 2.89 करोड़ लोगों को नागरिकता के योग्य पाया गया है. वहीं करीब 40 लाख लोगों के नाम इसमें नहीं हैं. NRC का पहला मसौदा 1 जनवरी को जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे. दूसरे ड्राफ्ट में पहली लिस्ट से भी काफी नाम हटाए गए हैं.