कोलकाताः 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय राजनीति में ब्रांड बिल्डिंग के काम के लिए एनआरआई लोगों को भी अहम भूमिका निभाते हुए देखा गया था. अमेरिका , यूरोप, ऑस्ट्रेलिया समेत फर्स्ट वर्ल्ड देशों में रहने वाले ये लोग भारत के वोटर्स तो नही थे लेकिन इन्होंने भारतीय वोटरों को प्रभावित करने का काम बखूबी किया था.
ब्रांड मोदी बनाने में NRI लोगों का रहा अहम योगदान
ब्रांड मोदी कैसे बना इस प्रक्रिया में एनआरआई लोगों का भी काफी योगदान रहा है. बता दें कि इससे पहले किसी भी भारतीय चुनाव में इन लोगों का योगदान शायद ही इतना देखा गया था. दरअसल बीजेपी ने विदेश में रहने वाले भारतीयों को अपने पाले में लिया और पूरी दुनिया में "ओपिनियन बिल्डिंग " का काम बखूबी किया. राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि विदेश में रहने वाले लोगो की राय ने भारत मे भी लोगों को खूब प्रभावित किया था. उदाहरण के लिए यह कह सकते हैं कि भारत के किसी गांव से इंजीनियर बनकर अमेरिका में सेटल हुए किसी युवा ने जब भाजपा के पक्ष में सोशल मीडिया पर लिखा तो उसके सर्किल में जो भी लोग रहे उन्हें भी भाजपा पर भरोसा हुआ और वे प्रभावित भी हुए.
इस तरह अलग अलग ऑनलाइन फोरम बने , ईमेल , व्हाट्सएप, गूगल हैंगआउट के ज़रिए विदेश में रहने वाले बीजेपी के समर्थक और उनके जानने वालो लोगों ने भारतीय वोटरों से खूब बात की और चुनावी कैंपेन चलाया जिसका सीधे-सीधे फायदा भाजपा को मिला था और वे बड़े मार्जिन से चुनाव में जीत दर्ज कर पाए.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने भी एनआरआई दांव खेला है
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव की ये स्ट्रेटेजी इसके बाद किसी राज्य के चुनाव से पहले नही देखी गई थी. लेकिन इस बार पश्चिम बंगाल में 2021 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने बंगाली एनआरआई लोगों के साथ संपर्क करने का काम शुरू कर दिया है. इस मकसद के तहत एक प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया है. जिसका नाम है " एनआरआई फ़ॉर सोनार बंगला." इस प्रोजेक्ट में 4 सदस्य को शामिल किया गया है.
बंगाल में "ओपिनियन बिल्डिंग " का काम शुरू करेगी बीजेपी
बता दें कि इस प्रोजेक्ट के तहत बीजेपी को समर्थन करने वाले विदेश में रहने वाले बंगाली वोटरों को चिन्हित किये जाने का काम शुरू हो चुका है और इन लोगों के ज़रिए बंगाल में "ओपिनियन बिल्डिंग " का काम शुरू किया जाएगा. माना जाता है कि बंगाली वोटर्स काफी संस्कृति प्रिय है और समाज के जानने वाले लोग जब कोई सलाह उन्हें देते है तो ये उनका सम्मान और आदर करते हैं. इस कारण ही बीजेपी ने एनआरआई बंगालियों से संपर्क करने का काम शुरू कर दिया है. गौरतलब है कि इस बार भी अलग-अलग फोरम के ज़रिए और ईमेल , व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर विदेश में रहने वाले बंगाल के लोग वोटरों को अपने पाले में जुटाने की कोशिश करेंगे.
बंगाल के बंगाली NRI लोगों से नहीं होंगे प्रभावित
वहीं तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि, विदेश में रहने वाले लोगों के द्वारा बंगाल के बंगाली प्रभावित नही होंगे और वे यहां के बंगालियों के ऊपर ही भरोसा कर रहे हैं. 2021 चुनाव में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी का ये प्रोजेक्ट औंधे मुंह गिरेगा.
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