नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए रेमडेसिविर का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिसके चलते राज्य में कई जगहों पर नकली रेमेडिसविर इंजेक्शन और फ्रॉड के मामले सामने आए हैं. वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड 19 दवाओं की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ 'नो टॉलरेंस' की नीति अपनाने की बात कही थी. राज्य सरकार ने धोखाधड़ी के आरोपियों के खिलाफ एनएसए की कार्यवाही भी सुनिश्चित की है.


फिलहाल नोएडा प्रशासन ने आवश्यक कोविड दवाओं की कालाबाजारी के आरोपी एक व्यक्ति के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) की कार्यवाही शुरू की है. नोएडा पुलिस के मुताबिक आरोपी रचित घई को अप्रैल में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के आरोप में पकड़ा गया था.


अस्पतालों की ओर से रेमडेसिविर को कोरोना काल में जीवन रक्षक दवा के रूप में निर्धारित किए जाने के बाद आरोपी रचित ने नकली रेमेडिसविर इंजेक्शन जरूरतमंद परिवारों को बेचने की कोशिश की थी. इस मामले में नोएडा सेक्टर 20 पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर कार्रवाई की गई. 


बता दें कि आरोपी रचित घई जरूरतमंद परिवार से रेमेडिसविर इंजेक्शन का सौदा बाजार की दर से कई अधिक कीमत पर कर रहा था. जिसके चलते उसे गिरफ्तार किया गया. वहीं जांच में रेमेडिसविर इंजेक्शन को नकली पाया गया. पुलिस का कहना है कि इस तरह का अपराध आम नागरिकों के जीवन को खतरे में डालता है इस कारण NSA की कार्यवाही की जा रही है.


पुलिस ने आगे जानकारी दी है कि रचित के पास से रेमडेसिविर की 100 से अधिक शीशियों को बरामद किया गया. उसने ने व्हाट्सएप के माध्यम से मरीजों के परिवारों से संपर्क किया और उन्हें दवा की सीधी आपूर्ति की पेशकश की जिसकी अप्रैल में काफी ज्यादा मांग थी. पुलिस ने कहा कि उसने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए फेसबुक पर इंजेक्शन की उपलब्धता के संदेश भी पोस्ट किए थे. पुलिस ने कहा कि इंजेक्शन लगभग 40,000 रुपये की कीमत पर बेचा जा रहा था.


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