नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच‌ फिंगर एरिया को लेकर हुई मीटिंग को लेकर गतिरोध फिर खड़ा हो गया है. पांचवे स्तर की कोर कमांडर बैठक का अभी तक नतीजा सामने नहीं आया है. इस बीच मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने रक्षा मंत्री से इस बारें में एक अहम बैठक की. इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद थे.


रविवार यानी 2 जुलाई को भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की बातचीत का अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है. सूत्रों के मुताबिक, इसका कारण चीन का फिंगर एरिया को लेकर अड़ियल रुख है. चीनी सेना फिंगर-4 से पूरी तरह पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है. सूत्रों की मानें तो चीनी सेना का दावा है कि फिंगर 8 से फिंगर 5 तक उसने वर्ष 1999 में सड़क बनाई थी. ऐसे में ये इलाका उसका है.


भारत का आरोप है कि चीन ने ऐसा कर दोनों देशों के बीच एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल) की शांति को लेकर हुए समझौता का उल्लंघन किया है. क्योंकि मौजूदा तनाव से पहले तक चीनी सेना फिंगर 8 के पीछे यानी सिरजैप और खुरनाक फोर्ट पर तैनात रहती थी. फिंगर 5 तक कैंप बनाकर चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के स्टेटस-को बदलने की कोशिश की है. दोनों देशों के बीच हुए शांती समझौते के तहत दोनों देश एलएसी पर बिना रजामंदी के किसी भी तरह का 'बॉर्डर-फॉर्टिफिकेशन' नहीं कर सकते हैं.


आपको बता दें कि 14 जुलाई को दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की बातचीत के बाद चीनी सेना अपने कैंप फिंगर 4 से फिंगर 5 तो ले गई थी, लेकिन अपने कुछ सैनिकों को फिंगर-4 की रिज-लाइन पर ही तैनात कर दिया था. भारत को इस पर भी कड़ा ऐतराज है.


रविवार की मीटिंग की समीक्षा करने के लिए मंगलवार की सुबह एनएसए अजीत डोवाल की अगुवाई में चाइना स्टडी ग्रुप की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई. आपको बता दें कि चीन सीमा से जुड़े सभी मुद्दों के लिए चायना स्टडी ग्रुप सरकार का सबसे बड़ा एडवायजरी ग्रुप है. इसका नेतृत्व एनएसए (अजीत डोवाल) करते हैं और कैबिनट सेक्रेटरी, रक्षा सचिव, गृह सचिव, विदेश सचिव सहित खुफिया एजेंसियों के प्रमुख इसके सदस्य होते हैं.‌ सेना के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी इसका हिस्सा हैं.


हालांकि, इस बैठक में क्या फैसला लिया गया इसका तो कुछ पता नहीं चल पाया, लेकिन चाइना स्टडी ग्रुप की मीटिंग के तुरंत बाद साउथ ब्लॉक में एनएसए ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर पूरे मामले की जानकारी दी. इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद थे.


माना जा रहा है आज की एनएसए और राजनाथ सिंह की बैठक के बाद बुधवार को सेना या फिर विदेश मंत्रालय की तरफ से दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की
मीटिंग पर कोई बयान आ सकता है. हालांकि, पूरी तरह एलएसी पर डिसइंगेजमेंट के लिए अभी दोनों देशों के बीच और सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत हो सकती है.


आपको बता दें कि रविवार की मीटिंग से पहले ही चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि एलएसी पर डिसइंगेजमेंट पूरा हो चुका है, लेकिन भारत ने चीन के इ‌स दावे को खारिज कर दिया है. पैंगोंग लेक से सटे फिंगर एरिया के अलावा भी चीनी सेना ने डेपसांग प्लेन्स सहित पूरी एलएसी पर हैवी बिल्ड-अप यानी बड़ी तादाद में सैनिक, टैंक और तोप तैनात कर रहे हैं. भारत ने भी एलएसी पर मिरर-डिप्लोयमेंट कर रखी है.


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