NSA Ajit Doval Met President Vladimir Putin: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) से मॉस्को में बृहस्पतिवार को मुलाकात की और उनके साथ विभिन्न द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की. ये जानकारी भारत में रूस के दूतावास ने ट्वीट कर दी है.


एनएसए डोभाल की राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात


भारत में रूस के दूतावास से किए गए ट्वीट में बताया गया है कि  (National Security Advisor-NSA) एनएसए अजीत डोभाल ने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की. ट्वीट में कहा गया,“ विभिन्न द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की गई. भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को लागू करने की दिशा में काम करते रहने पर सहमति बनी.”


दरअसल डोभाल बुधवार को दो दिवसीय रूस यात्रा पर गए थे. इस दौरान एनएसए अजीत डोभाल और रूसी राष्ट्रपति के बीच हुई चर्चा के दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को लागू करने की दिशा में काम जारी रखने पर सहमति जताई गई. एनएसए की ये रूस यात्रा विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस देश की यात्रा के तीन महीने बाद हो रही है.


अपनी यात्रा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर और रूस दोनों पक्षों ने अपने "टाइम-टेस्टेड" पार्टनर से भारत के पेट्रोलियम उत्पादों के आयात सहित अपने आर्थिक जुड़ाव का विस्तार करने की कसम खाई थी. डोभाल की मॉस्को यात्रा नई दिल्ली में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक से कुछ हफ्ते पहले हो रही है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) के 1 और 2 मार्च को बैठक में भाग लेने के लिए भारत की यात्रा करने की उम्मीद है.


द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर केंद्रित रही बातचीत


मास्को में भारतीय दूतावास ने कहा कि चर्चा द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर केंद्रित थी, लेकिन मुद्दों पर विस्तार से जानकारी नहीं दी गई. नई दिल्ली में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव (Denis Alipov) ने सोमवार (6 फरवरी) को कहा कि रूस भारत के साथ अपने संबंधों में और विविधता लाना चाहता है. बुधवार (8 फरवरी) को  एनएसए डोभाल ने रूस की मेजबानी में अफगानिस्तान पर सुरक्षा परिषदों और एनएसए के सचिवों की 5वीं बैठक में भाग लिया.


बैठक में, डोभाल ने कहा कि किसी भी देश को आतंकवाद के निर्यात के लिए अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल करने की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए और इस बात पर जोर दिया कि जरूरत के समय भारत अफगानिस्तान के लोगों को कभी नहीं छोड़ेगा. रूस और भारत के अलावा बैठक में ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.


गौरतलब है कि मॉस्को के यूक्रेन पर आक्रमण के बावजूद भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत बने रहे. कई पश्चिमी देशों में बढ़ती बेचैनी के बावजूद भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात पिछले कुछ महीनों में काफी बढ़ गया है. भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और यह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति और बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए.


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