NSA Meet In Delhi: भारत की अगुवाई में अफगानिस्तान के हालात पर हुई आठ देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक ने काबुल के तालिबानी निजाम और इस्लामाबाद की पाक सरकार को आतंकवाद पर सख्त संदेश दिया. भारतीय एनएसए अजित डोभाल के न्यौते पर दिल्ली पहुंचे 7 देशों के सुरक्षा सलाहकारों ने एक सुर में अफगानिस्तान में आतंकवाद के खतरों और गहराते मानवीय संकट का मुद्दा उठाया. इतना ही नहीं सभी पक्षों ने इस बात पर भी जोर दिया कि द्विपक्षीय एजेंडा के चलते सहयोग की इस प्रक्रिया का बहिष्कार नहीं किया जाना चाहिए.
जाहिर तौर पर भारत की अगुवाई में बुलाई गई इस बैठक का आयोजन पाकिस्तान की उन कोशिशों का जवाब था जिसमें इस्लामाबाद ने खुद को अफगानिस्तान और तालिबान का बड़ा पैरोकार दिखाने का प्रयास कर रहा है. साथ ही भारत को अफगानिस्तान मामलों से अलग रखने की भी जुगत में जुटा था. हालांकि भारत के न्यौते पर न केवल रूस, ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाखिस्तान, किर्गीजस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भारत में जुटे. बल्कि भारत की अहमियत और भूमिका पर मुहर भी लगाई. महत्वपूर्ण है कि क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद की इस तीसरी बैठक में भारत ने पाकिस्तान को भी आमंत्रित किया था. लेकिन पाक ने इस बैठक में अपने किसी नुमाइंदे को भेजना मुनासिब नहीं समझा.
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद बैठक उम्मीदों से अधिक कामयाब रही. भाग लेने पहुंचे हर देश ने बैठक की टाइमिंग और इस दौरान बेबाक तरीके से हुई बातचीत की सराहना की. अफगानिस्तान के मामले पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की इस एकमात्र बैठक में लगातार संवाद बनाए रखने की जरूरत पर भी जोर दिया गया. बैठक के दौरान सभी देशों के एनएसए के बीच इस बात को लेकर एकराय थी कि मौजूदा हालात में अफगानिस्तान के हालात चिंता का सबब बन रहे हैं. इसमें खासतौर पर चिंता सुरक्षा हालात और आतंकवाद को लेकर है. इसके अलावा फिक्र अफगानिस्तान में गहराते मानवीय संकट को लेकर भी है.
सूत्रों के अनुसार अफगानिस्तान के सुरक्षा आंकलन और मुख्य चुनौतियों को लेकर भी काफी समानता था. साथ ही सबने इस बात को स्वीकार किया कि अफगान लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए तत्काल प्रयास किए जाने की जरूरत है. इतना ही नहीं, मेहमान सुरक्षा प्रमुखों ने इस बैठक की टाइमिंग और आयोजन को लेकर भारत की पहल का स्वागत भी किया. बैठक के बाद जारी साझा बयान में जहां अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनाए जाने की जरूरत पर जोर दिया गया. वहीं बढ़ते कट्टरपंथ की चुनौती और आतंकवाद को लेकर क्षेत्रीय चिंताओं को भी जताया गया. अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के इस क्षेत्रीय समूह ने एक सुर में कहा कि आतंकवाद के लिए अफगान जमीन के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जा सकती.
इतना ही नहीं अफगानिस्तान में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की हिफाजत, मानवीय सहायता बिना किसी भेदभाव के लोगों के पहुंचाने पर जोर दिया गया. साथ ही अफगानिस्तान के हालात संभालने में संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिक भूमिका को भी जताया गया. साफ तौर पर इस बैठक के जरिए काबुल की सत्ता पर काबिज तालिबानी निजाम के लिए भी संदेश था कि अफगानिस्तान के पड़ोसी उसके वजूद को फिलहाल मान्यता देने के मूड़ में नहीं है. ध्यान रहे कि दिल्ली में जुटे इन सभी देशों में से किसी ने भी अभी तक तालिबान को सरकार के तौर पर मान्यता नहीं दी है.
पीएम मोदी के साथ मुलाकात
बैठक के बाद मेहमान सुरक्षा प्रमुखों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान भी अफगानिस्तान के हालात पर खुलकर बात हुई. इतना ही नहीं दिल्ली की इस बैठक में सभी पक्षों ने स्वीकार किया कि आपस में संवाद और सहयोग को बढ़ाने की जरूरत है. बहुपक्षीय मुलाकात के साथ ही बैठक के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने कजाखिस्तान, रूस, ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों से द्विपक्षीय मुलाकातें भी कीं. सरकारी सूत्रों ने बताया कि रूस के साथ मुलाकात में उच्च स्तरीय आदान-प्रदान और सूचना सुरक्षा, रक्षा सहयोग के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के बीच आपसी संवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठा.
इसके अलावा कजाखिस्तान के साथ हुई मुलाकात में अफगानिस्तान के अलावा दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी, व्यापारिक रास्तों पर ठोस कदम उठाने को लेकर चर्चा हुई. वहीं ईरान और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बातचीत में अफगानिस्तान के हालात के साथ-साथ मौजूदा वार्ता प्रक्रिया को आगे ले जाने पर चर्चा हुई. ध्यान रहे कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच संवाद की इस प्रक्रिया की शुरुआत ईरान की अगुवाई में ही 2018 में हुई थी. इस कड़ी में दूसरी बैठक भी ईरान की मेजबानी में हुई हुई थी. हालांकि पिछली दोनों बैठकों में मौजूद रहने वाला चीन दिल्ली के मंथन से नदारद था. जबकि बीजिंग ने पाकिस्तान की अगुवाई में हो रही बैठक में शरीक होने का ऐलान पहले ही कर दिया.
ENG vs NZ: पहली बार टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचा न्यूजीलैंड, सेमीफाइनल में इंग्लैंड को दी मात