कोहिमा: मोस्ट वांटेड नागा विद्रोही समूह NSCN-K के अध्यक्ष खापलांग की म्यांमार के कचिन राज्य के टक्का में मौत हो गई है. मणिपुर में सेना के 18 जवानों को मारने सहित सुरक्षा बलों पर कई हमलों का मास्टरमाइंड रह चुका खापलांग काफी दिनों से बीमार था. खपलांग की उम्र 77 साल थी.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के नेता की मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई. खपलांग कुछ समय से बीमार भी था. शांगवांग शांगयुंग खापलांग म्यांमार का हेमी नागा था और उनका ज्यादातर समय उसी देश में गुजरा. म्यांमार में NSCN-K के कई शिविर हैं. NSCN का यह गुट 1980 के दशक से सुरक्षा बलों पर हमले, जबरन धन वसूली और लूटपाट जैसी विध्वंसक गतिविधियों में लिप्त रहा है.
18 जवानों की गई थी जान
मणिपुर में चार जून 2015 को घात लगा कर किए गए हमले में NSCN-K का हाथ था. इस हमले में सेना के 18 जवान शहीद हो गए थे . इस घटना के बाद भारतीय सेना ने सीमा पार जा कर म्यांमार के अंदर स्थित NSCN-K के शिविरों पर हमला किया जिसमें कई उग्रवादी मारे गए थे. इस गुट ने सेना के काफिले पर घात लगा कर हमला तब किया था जब वह केंद्र सरकार के एक वार्ताकार के साथ शांति वार्ता कर रहा था. इसके बाद सरकार ने बातचीत बंद कर दी और सितंबर 2015 में NSCN-K को पांच साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया.
कौन था एस एस खापलांग ?
म्यांमार के पांगसाउ पास के पूर्व में स्थित वाकथाम गांव में अप्रैल 1940 में जन्मा खापलांग 1964 में नागा राष्ट्रवादी आंदोलन से जुड़ा और एनएससीएन का गठन करने वाले प्रमुख लोगों में से एक था.
वर्ष 1988 में खापलांग अलग हो गया और अपना गुट NSCN-K बना लिया. एनएससीएन (आईएम) नेताओं इसाक चिशी स्वू और थुइंगलेंग मुइवा से मतभेदों के चलते खापलांग ने अलग गुट बनाया था. स्वू का जून 2016 में दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया.
खापलांग निधन से स्तब्ध हूं- नीनगुलो क्रोम
खपलांग और केंद्र सरकार के बीच 1997 में संघर्ष विराम हुआ लेकिन 28 मार्च 2015 को यह निरस्त हो गया. इस बीच, नागा पीपल्स मूवमेंट फॉर ह्यूमन राइट्स (एनपीएमएचआर) के महासचिव नीनगुलो क्रोम ने कहा कि खापलांग के आकस्मिक निधन से वह स्तब्ध हैं. क्रोम ने कहा कि यह ऐसे समय पर हुआ है जब नागा लोगों को उनके राष्ट्रीय आंदोलन के नेताओं के अनुभव की बहुत जरूरत है ताकि नागाओं के भविष्य को सही दिशा मिल सके.नागा होहो और नागा मदर्स एसोसिएशन सहित अन्य विद्रोही समूहों या प्रमुख जनजातीय निकायों से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है.