मुंबई: जहां एक तरफ देश में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर हंगामा मचा हुआ है और इनके विरोध में देश में अलग-अलग जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ दूसरी तरफ जगह जगह समर्थन में भी मोर्चे और रैलियां निकाली जा रही हैं. इसी विरोध प्रदर्शन और समर्थन के बीच मुंबई में एक मामला सामने आया जहां नेशनल सर्विस स्कीम के तहत सर्वे करने गए स्टूडेंट्स को समझलिया कि ये एनआरसी के लिए सर्वे करने आए हैं.


दरअसल मुंबई के डोम्बिवली के रॉयल कॉलेज का एक स्टूडेंट्स ग्रुप नेशनल सर्विस स्कीम एनएसएस के तहत भिवंडी शहर के पड़गा इलाके में प्रोजेक्ट के लिए गया था. रॉयल कॉलेज के अलावा मुम्बई के कीर्ति कॉलेज के एनएसएस स्टूडेंट्स को भी पड़गा इलाके में एक गांव के सर्वे का प्रोजेक्ट दिया गया था. इस कैंप में 25-25 स्टूडेंट्स के अलावा उनके कॉलेज के 4 से 5 प्रोफेसर भी थे, जिनका बेस कैंप पड़गा में ही बनाया गया था.


इन दोनों कॉलेजों के छात्र इलाके में घर-घर जाकर सर्वे कर रहे थे. सर्वे में महिला सशक्तिकरण के मुद्दे के अलावा नाम, पिता का नाम, उम्र, लिंग, जात, रोजगार, घर में सदस्यों की संख्या, नौकरीपेशा महिला, महिला द्वारा घूंघट प्रथा, बुर्का पहनना जैसे सवाल पूछे जा रहे थे. इसी दौरान इलाके में ये अफवाह फैल गई कि, ये लोग एनआरसी वाले हैं. और ये सर्वे आरएसएस द्वारा करवाया जा रहा है. ये अफवाह फैलते ही लोगों की भीड़ जमा हो गई और छात्रों से सवाल करने लगी.


वहीं सर्वे कर रहे स्टूडेंट्स द्वारा माकूल जवाब नहीं देने पर भीड़ उग्र हो गई. आरोप है कि वहां कुछ छात्रों के साथ मारपीट भी की गई. फील्ड प्रोजेक्ट के दौरान स्टूडेंट्स के मोबाइल शिक्षक के पास जमा होने के कारण स्टूडेंट्स प्रोफेसर को भी फोन नहीं कर पाए. स्टूडेंट्स ने टी शर्ट निकालकर अपनी जान बचाई.


इस घटना के बाद एनएसएस कैंप रद्द कर दिया गया और इलाके में पुलिस ने कानून व्यवस्था के मुताबिक पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ा दी है. हालांकी कॉलेज की तरफ से किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज नहीं करवाई गई है.


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