नई दिल्ली: पिछले एक हफ्ते में स्वाइन फ्लू से 31 लोगों की मौत होने के साथ देश में इस साल ‘एच1एन1’ विषाणु से मरने वालों की संख्या बढ़ कर 226 हो गई है. वहीं, इस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या 6,000 को पार कर गई है. राजस्थान में सर्वाधिक 34 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 28 जनवरी तक दिल्ली स्वाइन फ्लू के मामलों में राजस्थान और गुजरात के बाद तीसरे नंबर पर थी लेकिन अब यह दूसरे स्थान पर है. दिल्ली में पिछले एक हफ्ते में 479 नये मामले दर्ज होने के साथ इस साल स्वाइन फ्लू के कुल 1011 मामले सामने आए हैं.
दिल्ली में स्वाइन फ्लू से कम से कम 14 मौतें हुई हैं, जिनमें सफदरजंग अस्पताल में तीन, राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में 10 और एम्स में एक मौत हुई है. हालांकि, दिल्ली के ये आंकड़े केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डाटा में प्रदर्शित नहीं किए गए हैं. मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सोमवार तक कुल 6,601 लोगों में इस रोग की पुष्टि हुई है, जिनमें से 2030 लोग पिछले सात दिनों में संक्रमित हुए हैं.
राजस्थान समेत कई अन्य रज्यों में स्वाइन फ्लू का कहर जारी
सोमवार तक राजस्थान में 85 मौतें और 2263 मामले दर्ज किए गए. 43 मौतें और 898 लोगों के इस विषाणु से संक्रमित होने के साथ गुजरात तीसरे नंबर पर है. वहीं, हरियाणा में दो मौतें और 490 मामले दर्ज किए गए हैं.
आंकड़ों के मुताबिक सोमवार तक पंजाब में स्वाइन फ्लू से सोमवार तक 30 मौतें और 250 मामले, जबकि महाराष्ट्र में 138 मामले और 12 मौतें दर्ज की गई हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से इस रोग का समय रहते पता लगाने के लिए अपनी निगरानी बढ़ाने और अस्पतालों में बेड की व्यवस्था रखने को कहा है.
अधिकारी ने बताया कि राज्यों ने दवाइयों और रोग पहचान किट की कोई मांग नहीं की है. गौरतलब है कि पिछले साल देश में स्वाइन फ्लू के 14,992 मामले दर्ज किए गए थे और इस रोग से 1103 मौतें हुई थी.इस बीच, दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग का एक पैनल विभिन्न अस्पतालों में स्वाइन फ्लू से हुई मौतों की पड़ताल कर रहा है. दिल्ली सरकार ने एक परामर्श भी जारी किया है.
क्या है स्वाइन फ्लू के लक्षण
बुख़ार और खांसी, गला ख़राब, नाक बहना या बंद होना, सांस लेने में तकलीफ़ और अन्य लक्षण जैसे बदन दर्द, सिर दर्द, थकान, ठिठुरन, दस्त, उल्टी, बलगम में खून आना इत्यादि भी हो सकते हैं.
माइल्ड स्वाइन फ़्लू के लक्षण (केटेगरी-A)
बुखार, खांसी, सर्दी, शरीर में दर्द होना व थकान महसूस होना. माइल्ड स्वाइन फ़्लू का इलाज लक्षणों पर आधारित होता है. ऐसे लक्षणों में टेमीफ्लू दवा लेने की या जांच की जरूरत नहीं होती.
मॉडरेट स्वाइन फ़्लू के लक्षण (केटेगरी-B)
इस श्रेणी के मरीजों में माइल्ड स्वाइन फ्लू के लक्षणों के अतिरिक्त तेज बुखार और गले में तेज दर्द होता है या मरीज में माइल्ड स्वाइन फ्लू के लक्षणों के साथ, निम्नलिखित हाई रिस्क कंडीशन है तो रोगी को स्वाइन फ्लू की दवा टैमीफ्लू दी जाती है.
- छोटे बच्चे
- गर्भवती महिलायें
- 65 साल या उससे अधिक उम्र के व्यक्ति
- फेफड़े कि बीमारी, दिल की बीमारी, गुर्दे की बीमारी, मधुमेह रोग, कैंसर इत्यादि से ग्रसित व्यक्ति.
- गंभीर स्वाइन फ़्लू के लक्षण (केटेगरी-C)
इस श्रेणी के लोगों में स्वाइन फ्लू के ऊपर लिखे लक्षणों के अतिरिक्त निम्नलिखित गंभीर लक्षण भी पाए जाते हैं: - सांस लेने में दिक्कत
- छाती में तेज दर्द
- गफलत में जाना
- ब्लड प्रेशर कम होना
- बलगम में खून आना
- नाखून नीले पड़ जाना
इस श्रेणी से संबंधित सभी रोगियों को अस्पताल में भर्ती करना चाहिये व रोगी को अलग से रखा जाता है, रोगी को स्वाइन फ्लू की दवा टैमीफ्लू दी जाती है और जांच भी जरूरी है.
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